समयसार अर्थात शुद्धात्मा, ध्येय, श्रद्धेय, जानने योग्य ज्ञेय है, जिसके जानेसमझे बिना संसार में ... Swadhyay Group 7,98 тыс. подписчиков Скачать
समयसार अर्थात शुद्धात्मा, ध्येय, श्रद्धेय, जानने योग्य ज्ञेय है, जिसके जानेसमझे बिना संसार में ... Скачать
मोक्षमार्ग प्रकाशक जब अन्याय की चर्चा चलती है तो लोगों को केवल व्यापार धंधे याद आते हैं, लेकिन .... Скачать
प्रथमानुयोग और चरणानुयोग में मुख्यरूप से महिमा दिखाकर प्रेरणा करते हैं संसार समुद्र से उतारने ... Скачать
आकिंचन्य अर्थात एकत्व, जैसे कपड़े उतरते जाएं तो नग्नता रह जाएगी, ऐसे ही भेदज्ञान करते जाएं तो ..... Скачать
सत्य धर्म जगतपूज्य है; धर्म है तो धर्मी होना चाहिए, समयसार कलश है तो कोई सागर भी तो होना चाहिए | Скачать
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष - इन चार में धर्म पुरुषार्थ का अभाव होने पर चारो ही पुरुषार्थ खत्म होते हैं Скачать
जो धर्म जीवों को संसार दुःखों से छुड़ाकर उत्तम सुख की प्राप्ति कराने वाला है उसके दस लक्षण कहे गए है Скачать
यदि किसी व्यक्ति से ये कह दिया जाय कि 'तुम तो तुम ही हो', कितना खुश होगा, फिर 'जीव जीव है' .. Скачать
भगवान जिनेन्द्र देव ने जीव का स्वरूप कहा; जीव जीव है; नया नही होता, बस है, किसी से उत्पन्न नही होता Скачать
मंगलाचरण करते हुए आदि तीर्थंकर ऋषभदेव भगवान को एवं सर्व भगवन्तों को स्मरण करते हुए नमस्कार करते हैं Скачать
समयसार सामने नहीं हो तो भी है कि नहीं! नहीं माने तो भी भगवान, माने तो भगवान बनने का द्वार खुल जाए Скачать
प्रवचन मुख्यरूप से भगवान की दिव्यध्वनि और सार अर्थात दिव्यध्वनि में आया हुआ उपादेय रूप शुद्धात्मा Скачать
परिणाम को देखें तो आत्मा विकाररूप दिखता है, स्वभाव दृष्टि से देखें तो आत्मा विकाररूप नही हो गया Скачать
जिस प्रकार अचेतन दर्पण मलिन नही होता, उसी प्रकार ज्ञान रागीक्रोधी हो जाए तो फिर झलके किसमें ? Скачать
सम्पूर्ण विकल्पों के अभाव का नाम समाधि है, इसलिए सम्पूर्ण विकल्पों के अभाव का लक्ष्य रखना चाहिए Скачать
05 सती भुवनसुन्दरी की कथा || शील धर्म की मंगल महिमा || ब्र. सुनील जी, शिवपुरी || जैन कथा संग्रह Скачать
04 सती भुवनसुन्दरी की कथा || शील धर्म की मंगल महिमा || ब्र. सुनील जी, शिवपुरी || जैन कथा संग्रह Скачать
03 सती भुवनसुन्दरी की कथा || शील धर्म की मंगल महिमा || ब्र. सुनील जी, शिवपुरी || जैन कथा संग्रह Скачать
02 सती भुवनसुन्दरी की कथा || शील धर्म की मंगल महिमा || ब्र. सुनील जी, शिवपुरी || जैन कथा संग्रह Скачать
01 सती भुवनसुन्दरी की कथा || शील धर्म की मंगल महिमा || ब्र. सुनील जी, शिवपुरी || जैन कथा संग्रह Скачать
भरत चक्रवर्ती के पुत्र सुमतिराज और जिनराज की वैराग्यमयी कथा | ब्र. सुनील जी, शिवपुरी |जैन कथा संग्रह Скачать
ये भव, भव के अभाव के लिए है, टाइम पास करने के लिए नही, संयोग जुटाने के लिए नही, धन कमाने के लिए नही| Скачать
02 मदालसा सती की कथा - जैनत्व के संस्कारों की अद्भुत प्रेरणा - ब्र. सुनील जी, शिवपुरी जैन कथा संग्रह Скачать
01 मदालसा सती की कथा - जैनत्व के संस्कारों की अद्भुत प्रेरणा - ब्र. सुनील जी, शिवपुरी जैन कथा संग्रह Скачать
08 देखो! संसार में दुःख है, ऐसा भासित होता है या नही, कोई पुरूषार्थ नही होगा जब तक अंतर में स्वयं .. Скачать
05 जब तुम भगवान को भगवान नही समझोगे तो तुम्हें कौन समझेगा? || उत्तम सत्य || दशलक्षण महापर्व 2022 Скачать
02 आत्मा ज्ञानी कब होता है कि जब ये द्रव्य कर्म, भाव कर्म, नो कर्म से भिन्न आत्मा को जानता है Скачать
01 आत्मा ज्ञानमात्र है, मान-रागादि रूप नही है, संयोग-शरीर रूप नही है - उत्तम क्षमा दशलक्षण महापर्व Скачать
स्वछन्दता से जीव अनंत काल में मार्ग नही पा सकता, भगवान बनने की बात तो बहुत दूर है भगवान का भक्त भी.. Скачать
संकल्प करना है तो अपने परिणामों की रक्षा का करो, जिनशासन की रक्षा अपने आप हो जाएगी | रक्षाबंधन विशेष Скачать
सम्बन्धों की मधुरता के लिए मधुर सम्बोधन सीखो, हाथ जोड़ने से काम नही चलता, अंतर की कोमलता से काम चलेग Скачать
भगवान की दिव्यध्वनि सर्वांग से खिरती है और हम एकांगी धर्म चाहते हैं, जैसे अकेला ब्रह्मचर्य पालना | Скачать
परिणाम गिर तो अपने आप जाएंगे, उठाने के लिए पुरुषार्थ चाहिए, पुरुषार्थ बिना परिणाम उठे ऐसा नही होता Скачать
लोक में यह सज्जनता है जहाँ अपनी न चले तो मत चलाओ, जब अपने विकल्प कार्य में नही चलते तो करते क्यों हो Скачать
मनुष्य पर्याय, जैन कुल और जिनवाणी श्रवण की दुर्लभता ? निगोद से लेकर इतनी बड़ी यात्रा के बाद यहाँ आये. Скачать
अज्ञानी कल्पनालोक में विचरण करता है और कलपता/दुखी होता रहता है || बा.ब्र.पं.श्री रवीन्द्रजी 'आत्मन् Скачать
आत्मकार्य को छोडकर और जितने भी कार्य हैं वे जरूरी नही हैं || बा.ब्र.पं.श्री रवीन्द्रजी 'आत्मन्' Скачать
05.उत्तम सत्यधर्म (दशलक्षण महापर्व 2021द्रोणगिरी प्रवास) || बा.ब्र.पं.श्री रवीन्द्रजी 'आत्मन्' Скачать
03.उत्तम आर्दवधर्म (दशलक्षण महापर्व 2021द्रोणगिरी प्रवास) || बा.ब्र.पं.श्री रवीन्द्रजी 'आत्मन्' Скачать
02. उत्तम मार्दव धर्म (दशलक्षण महापर्व 2021द्रोणगिर जी) || बा.ब्र.पं.श्री रवीन्द्रजी 'आत्मन्' Скачать
हमें स्वाध्याय इस प्रकार से करना है कि मोह, विकार घटे और विशुद्धता, क्षमा, विनय, सरलता, संतोष बढ़े Скачать
परपदार्थ हितकारी लगते हैं, हैं नही , ये अपनी दृष्टि का दोष है || बा.ब्र.पं.श्री रवीन्द्रजी 'आत्मन्' Скачать
सिद्ध भगवान को नमस्कार करते हुए, मंगलाचरण करते हुए, अपने ज्ञान में अपना साध्य स्मरण कर लेना चाहिए. Скачать
संस्कार किसे कहते हैं, कि सोचना नही पड़े, बिना सोचे काम होता जाए :बा.ब्र.पं.श्री रवीन्द्रजी 'आत्मन्' Скачать
देह को अपना मानने का दुष्परिणाम यह हुआ कि आत्मा की चर्चा सुनते रहे और यह लगा कि किसी और की चर्चा है Скачать
अपने और दूसरों को सांत्वना देने की क्या विधि है: सांत्वनाष्टक || बा.ब्र.पं.श्री रवीन्द्रजी 'आत्मन्' Скачать
अपनी उलझनों को मिटाने के लिए जिनदेव की भक्ति ही शरण है, जिनागम का अभ्यास करो तभी ये उलझनें मिटेंगी. Скачать
17 धन्य है! वह जीव जो स्वप्न में भी, सम्यक्त को मलिन नहीं करते हैं || दशलक्षण महापर्व || 2020 Скачать