Amla Navami ko Akshaya Navami (अक्षय नवमी) bhi kaha jaata hain. Akshaya navami pooja ka matlab hota hain ki is din Akshaya navami katha sunkar aanwle ke ped ki puja ki jaati hain
शुभ मुर्हुत: सुबह 6:36 से दोपहर 12:04 तक
आंवला नवमी पूजा विधि, akshay navmi ki puja vidhi,
आंवला नवमी पर क्यों होती है आंवले के पेड़ की पूजा, क्या है कथा
View and Listen your favourite Vrat Katha - आंवला नवमी पूजन विधि, कथा और महत्व | Amla Navami / Akshaya Navami Puja Vidhi & Vrat Katha | अक्षय नवमी कथा
अक्षय आंवला नवमी पूजा विधि 2019: जानिए आंवला नवमी पूजन विधि, कथा और महत्व | दिनांक | Akshaya Navami 2019Date & Time In India | Hindi
akshaya navami worship time or puja shubh muhurat and importance of amla navami
Amla Navami / Akshaya Navami ki Mahima, Puja Vidhi & Vrat Katha in hindi
आंवला नवमी है फलदायी
कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवले की पूजा व उसकी छांव में भोजन का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि कार्तिक मास की नवमी को आंवला के पेड़ के नीचे अमृत की वर्षा होती है। कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि में आंवले की पूजा को पुत्र प्राप्ति के लिए भी विशेष लाभदायक माना गया है। इस दिन को आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है।
नवमी के दिन जगह-जगह महिलाएं आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा-पाठ करके भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना कर भोजन भी ग्रहण करती है। इस दिन आंवले के पेड़ से अमृत की वर्षा मानी गई है।
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदे गिरती है और यदि इस पेड़ के नीचे व्यक्ति भोजन करता है तो भोजन में अमृत के अंश आ जाता है। जिसके प्रभाव से मनुष्य रोगमुक्त होकर दीर्घायु बनता है।
वैसे आंवले के महत्व को वैज्ञानिक भी मान्यता देते हैं। आंवले में विटामिन सी की भरमूर मात्रा होती है। इसीलिए कार्तिक शुक्ल नवमी पर श्रद्घालु आंवले के पेड़ की पूजा करके इसी पेड़ की छांव में भोजन ग्रहण करते हैं।
व्रत की पूजा का विधान :-
* नवमी के दिन महिलाएं सुबह से ही स्नान ध्यान कर आंवला के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में मुंह करके बैठती हैं।
* इसके बाद वृक्ष की जड़ों को दूध से सींच कर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटा जाता है।
* तत्पश्चात रोली, चावल, धूप दीप से वृक्ष की पूजा की जाती है।
* महिलाएं आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमाएं करके ही भोजन करती हैं।
आंवले का पेड़, संतान और सौभाग्य के लिए होती है आंवला नवमी पूजा
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को 'आंवला नवमी' या 'अक्षय नवमी' कहते हैं। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है जिससे अखंड सौभाग्य, आरोग्य, संतान और सुख की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी का शास्त्रों में वही महत्व बताया गया है जो वैशाख मास की तृतीया यानी अक्षय तृतीया का है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा की जाती है उसका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है।
Ещё видео!