Lecture presented by Acharya Ashish Arya Ji in Brisbane, Australia.
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी' - मेरा इस ग्रन्थ के बनाने का मुख्य प्रयोजन सत्य-सत्य अर्थ का प्रकाश करना है, अर्थात् जो सत्य है उस को सत्य और जो मिथ्या है उस को मिथ्या ही प्रतिपादन करना सत्य अर्थ का प्रकाश समझा है। वह सत्य नहीं कहाता जो सत्य के स्थान में असत्य और असत्य के स्थान में सत्य का प्रकाश किया जाय। किन्तु जो पदार्थ जैसा है, उसको वैसा ही कहना, लिखना और मानना सत्य कहाता है।
सत्य को सत्य और मिथ्या को मिथ्या ही प्रतिपादन करना सत्योपदेश के विना अन्य कोई भी मनुष्य जाति की उन्नति का कारण नहीं है।
The main object of my writing this book is to elucidate true principles, i.e. to declare as truth what is truth and to declare as false what is not true.
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