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#acharyaprashant
वीडियो जानकारी: 20.10.23, अष्टावक्र गीता, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने मुक्ति और भोग के बीच के अंतर को समझाया है। उन्होंने बताया कि भोग का अनुभव तात्कालिक सुख देता है, जैसे पिज्जा खाना, जबकि मुक्ति का मार्ग कठिनाई और दर्द से भरा होता है। मुक्ति का अर्थ है अपने ढर्रों को तोड़ना और स्वास्थ्य तथा सौंदर्य की ओर बढ़ना, जो अक्सर कष्टदायक होता है। आचार्य जी ने यह भी कहा कि मुक्ति की पहचान तब होती है जब व्यक्ति बाहरी चुनौतियों का सामना करते हुए भी भीतर शांति बनाए रखता है। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि मुक्ति का मार्ग हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन यह अंततः व्यक्ति को अनंत चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए सक्षम बनाता है।
आचार्य जी ने यह भी बताया कि मुक्त व्यक्ति कभी भी रुकता नहीं है, बल्कि वह हमेशा आगे बढ़ता रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग प्रेम और कर्म में रत होते हैं, वे कभी भी अपने लक्ष्यों को सीमित नहीं करते, क्योंकि उनके लिए जीवन का आनंद अनंत होता है।
प्रसंग:
~ मूल से समस्या का समाधान कैसे करें?
~ क्या समस्याओं का सतही इलाज करना ठीक है?
~ मन को स्वस्थ कैसे रखें?
~ व्यर्थ विचारों से कैसे बचें?
~ जीवन में ऊँचा काम कैसे करें?
~ अपनी बेड़ियों को कैसे तोड़ें?
~ जवानी का सदुपयोग कैसे करें?
~ अपने जीवन को सार्थक कार्य में कैसे लगाएँ?
~ जीवन को ऊँचे शिखर पर कैसे ले जाएँ?
संगीत: मिलिंद दाते
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