जीवन की साँझ बेला में आँखों के सामने एक-एक कर ढलते सखा-संबंधियों को देख कर द्रवित निराला की भीगी सचकहनी -
As the doom arrives, Nirala sees his near and dear ones departing one by one and then talks to the mirror in this poignant work -
मैं अकेला, मैं अकेला
मैं अकेला, मैं अकेला
देखता हूँ, आ रही
मेरे दिवस की सान्ध्य बेला
मैं अकेला, मैं अकेला
मैं अकेला, मैं अकेला
पके आधे बाल मेरे
हुए निष्प्रभ गाल मेरे
चाल मेरी मन्द होती आ रही
हट रहा मेला
मैं अकेला, मैं अकेला
मैं अकेला, मैं अकेला
देखता हूँ, आ रही
मेरे दिवस की सान्ध्य बेला
मैं अकेला, मैं अकेला
मैं अकेला, मैं अकेला
जानता हूँ, नदी-झरने
जो मुझे थे पार करने
कर चुका हूँ, हँस रहा यह
देख कोई नहीं भेला
मैं अकेला, मैं अकेला
मैं अकेला, मैं अकेला
देखता हूँ, आ रही
मेरे दिवस की सान्ध्य बेला
मैं अकेला, मैं अकेला
मैं अकेला, मैं अकेला
Main Akela, Main Akela
Main Akela, Main Akela
Dekhta Hoon, Aa Rahi
Mere Divas Ki Saandhy Bela
Main Akela, Main Akela
Main Akela, Main Akela
Pake Aadhe Baal Mere
Huye Nishprabh Gaal Mere
Chaal Meri Mand Hoti Aa Rahi
Hat Raha Mela
Main Akela, Main Akela
Main Akela, Main Akela
Dekhta Hoon, Nadee-Jharane
Jo Mujhe The Paar Karane
Kar Chukaa Hoon, Hans Raha Yah
Dekh Koyi Nahin Bhela
Main Akela, Main Akela
Main Akela, Main Akela
Dekhta Hoon, Aa Rahi
Mere Divas Ki Saandhy Bela
Main Akela, Main Akela
Main Akela, Main Akela
Lyrics : Suryakant Tripathi 'Nirala'
Vocals and Composition : Dr Kumar Vishwas
Music Arrangement : Band Poetica
All Rights : KV Studio
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