Maa Yaad Aati Hai | Ayyame Fatima New Noha 2025 | Anjuman Sipah E Hussaini Bhanauli Sadat Sultanpur | Aza E Fatima #JAUPUR 2024/1446
3rd Majlis | New Noha Shahadat Bibi Fatima Zehra 2024/1446 | Ayyam E Fatima Noha 2025 Jaipur | Zainab Ko Maa Yaad Aati Hai
ایام فاطمیه مجلس
Khamsa Majlis On Ayyam E Fatima Jaipur, Rajsthan | Shahadat Bibi Fatima Zahra (s.a)
Reciter: Anjuman Sipah E Hussaini Bhanauli Sadat Sultanpur
Organizer: Momneen E Jaipur
Location: Shia Waqf Imambargah, Hakeem Momin Ali, #Jaipur, #Rajsthan
Related to: shahadat hazrat fatima zahra & ayame fatima (s.a) 2024, ayam e fatima Noha 2025
Date: 3 December 2024
Posted by : @AzadariChittora
Contact : +919312305350
जब जब भी जले दरवाजे पर जैनब की नजर पड़ जाती है जैनब को मां याद आती है
सदमे से जिगर फट जाता है दीवार से सर टकराती है जैनब को मां याद आती है
1
फिरते है नजर में वो लम्हे होता है जिगर टुकड़े टुकड़े
देखा है इसी दरवाजे को गिरते हुए मां के पहलू पे
गम नाक वो यादें एक पल भी था हश्र न भूलेगी जैनब
वो दिन वो कयामत का मंजर वो अहो फोगां और वो शोले
उन उठेते हुए शोलों की लपक हर वक्त जिगर सुलगती है
2
नजरों से कभी हटता ही नहीं पल भर वो कयामत का मंजर
वो जख्मी माँ वो जलता दर और उसपे सितमगरों का गुजर
वो कीलें जो दर आईं थीं दुखिया मादर के पहलू में
जैनब की नजर जब जाती है दरवाजे की उन कीलों पर
मोहसिन की शहादत के ग़म में आँखों से लहू बरसाती है
3
ये वो शहजादी है जिसके हर नाज उठती थी जहरा
सीने से लगती थीं जहरा लोरी भी सुनाती थीं जहरा
एक पल के लिए भी ये अपनी मादर से जुदा न होती थी
अपनी शहजादी को अपने पहलू में सुलाती थी जहरा
रो रो के गुजरती हैं रातें जब खुद को अकेला पाती है
इस दुखियारी ने जहरा का मुंह ढाप के रोना देखा है
टुकड़ा
दर कैसे गिरा था ज़हरा पर ज़ैनब ने ये मंजर देखा है
किस दर्द से गुज़री है मादर ज़ैनब ने ये मंजर देखा है
दिल काँप रहा था दहशत से घबराई थी सहमी थी ज़ैनब
अम्मा की तरफ बढ़ती कभी बाबा से लिपटती थी ज़ैनब
ज़हरा की दुलारी बेटी ने
वो दर्द भरा मंजर देखा
ज़हरा की तरफ एक शख्स बढ़ा
और उस जालिम का हाथ उठा
फिर पूरी कूवत से उसने
बिनते पैगंबर को मारा
वो ऐसा तमाचा था जिसे
ज़हरा की निगाहों के आगे
कुछ देर अंधेरा छाया रहा
और खून आंखों से बहने लगा
अम्मा पे सितम जब ये देखा
ज़ैनब का जिगर मुह को आया
दिल फटने लगा। तड़पी दुखिया
रो-रो के कहा। हाय वा वैला,
हाय वा वैला, हाय वा वैला। हाय वा वैला, हाय वा वैला
4
इस दुखियारी ने जहरा का मुंह ढाप के रोना देखा है
बालों की सफेदी देखी है और ज़ख्मी चेहरा देखा है
पहलू पे गिरा दर देखा है मादर का तड़पना देखा है
इसने अम्मा के चेहरे पर जालिम का तमाचा देखा है
जहरा पे उठे उन हाथो की हर याद जिगर को खाती है
5
हर वक्त हुसैन के चेहरे पर हाथों से लगाती थी पानी
शब्बीर की आँखें खुलते ही माँ दौड़ के लाती थी पानी
दस्तूर था पानी का प्याला वो अपने सरहाने रखती थी
मां अपने पिसर को रातों में उठ उठ के पिलाती थी पानी
अब रातों में एक पल भी जब भाई को प्यास सताती है
6
जैनब को बहुत याद आता है हर वक्त जमाना अम्मा का
तनहाई में सबसे छुप छुप के वो अश्क बहना अम्मा का
याद आता है जख्मी हाथों से चक्की वो चलाना अम्मा का
और प्यार से खाना खुद अपने बच्चों को खिलाना अम्मा का
बे सख्ता रोते है बच्चे फ़िज़्ज़ा जब खाना लाती है
7
हर वक्त नदीम एक बेटी के होठों पे ये रहता है नौहा
मैं सब्र करूं कैसे कोई तदबीर बता दो ऐ बाबा
अम्मा के सिसकने की हरदम कानों में सदाएँ आती हैं
उनकी गुरबत पर रोता है अपने घर का हर एक गोशा
वो माँ की कराहों में डूबी आवाज मुझे तड़पाती है
HashTags:-
#nohaayamefatima #majlis #ayamefatima #bibifatimakikahani #bibifatima #bibifatima_life #noha2024 #ayyamefatimanoha2024
Ещё видео!