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धारा 240 दण्ड प्रक्रिया संहिता | Section 240 Crpc in Hindi - Dand Prakriya Sanhita Dhara 240
Section 240 in The Code Of Criminal Procedure, 1973
इस आर्टिकल में मै आपको “आरोप विरचित करना | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 240 क्या है | section 240 CrPC in Hindi | Section 240 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 240 | Framing of charge ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 240 | Section 240 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 240 in Hindi ] –
आरोप विरचित करना—
(1) यदि ऐसे विचार, परीक्षा, यदि कोई हो, और सुनवाई कर लेने पर मजिस्ट्रेट की यह राय है कि ऐसी उपधारणा करने का आधार है कि अभियुक्त ने इस अध्याय के अधीन विचारणीय ऐसा अपराध किया है जिसका विचारण करने के लिए, वह मजिस्ट्रेट सक्षम है और जो उसकी राय में उसके द्वारा पर्याप्त रूप से दंडित किया जा सकता है तो वह अभियुक्त के विरुद्ध आरोप लिखित रूप में विरचित करेगा।
(2) तब वह आरोप अभियुक्त को पढ़ कर सुनाया और समझाया जाएगा और उससे यह पूछा जाएगा कि क्या वह उस अपराध का, जिसका आरोप लगाया गया है दोषी होने का अभिवाक् करता है या विचारण किए जाने का दावा करता है।
धारा 240 CrPC
[ CrPC Sec. 240 in English ] –
“ Framing of charge ”–
(1) If, upon such consideration, examination, if any, and hearing, the Magistrate is of opinion that there is ground for presuming that the accused has committed an offence triable under this Chapter, which such Magistrate is competent to try and which, in his opinion, could be adequately punished by him, he shall frame in writing a charge against the accused.
(2) The charge shall then be read and explained to the accused, and he shall be asked whether he pleads guilty of the offence charged or claims to be tried.
धारा 240 CrPC
धारा 240 CrPC
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