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1988 II Radio Drama || Mrityuheen Pran by Alok Bhattacharya II Episode #01
मृत्युहीन प्राण (3.9.2021)
(कड़ी #1)
यह नाटक अलोक भट्टाचार्य के लिखे बांग्ला-नाटक का ‘मृत्युहीन प्राण’ का हिन्दी नाट्य-रूपांतर है | इस नाटक को वर्ष 1987 में आकाशवाणी वार्षिक पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ नाटक का पुरस्कार प्राप्त हुआ था | यह नाटक रंगभेद की समर्थक दक्षिण अफ़्रीकी सरकार के विरुद्ध लंबे समय तक चले आंदोलन के समर्थक अफ्रीकी कवि और सामाजिक कार्यकर्ता बेंजामिन मोलोयेज़ ( Benjamin Moloise) के जीवन संघर्ष और उन्हें फांसी दिये जाने की घटना पर केन्द्रित है | बेंजामिन मोलोयेज़ ( Benjamin Moloise) का जन्म 1955 में एलेक्जेंड्रा में हुआ था। वह एक कार्यकर्ता, कवि और तत्कालीन निषिद्ध अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) के अनुयायी थे । 1982 में कथित तौर पर एक पुलिसकर्मी की हत्या के लिए पीडब्लू बोथा के रंगभेद शासन द्वारा उन्हें मृत्युदंड का दोषी ठहराया गया था । अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस ने हत्या की जिम्मेदारी ली और बेंजामिन मोलोयेज़ के शामिल होने के दावे को खारिज कर दिया। दुनिया भर में क्षमादान की गुहार लगाने के बावजूद उन्हें 18 अक्टूबर 1985 को प्रिटोरिया सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई । रंगभेद शासन द्वारा उनको फांसी देने न के कारण दक्षिण अफ्रीका में और दूसरे देशों में भी विरोध हुआ और कई हिंसक झड़पें भी हुई |
फांसी पर चढ़ने से पहले उन्होंने लिखा था :
"I am proud to be what I am…
The storm of oppression will be followed
By the rain of my blood
I am proud to give my life
My one solitary life."
आज सुनिए इस नाटक की पहली कड़ी |
Title: MRITYUHEEN PRAN
(Episode # 1)
Writer: Alok Bhattacharya
Hindi Translation: Deepnarayan Mitholiya
Assistance in Production: Prakash Chandra Jain
Director: Sudarshan Kumar
Opening-closing announcement: Satya Vrat Sharma
Artists: Neeraj Sharma, K.S.Panwar, B.L.Tandon, Surendra Verma, Bharat Ratna Bhargava, Abhay Bhargava, Mangat Ram, Rajendra Nautiyal, Pramod Kaul, Kamla Kumari Chopra, Seema Burman.
(Refurbished by Sh. Vinod Kumar, Programme Executive, CDU,DG; AIR. This play was first broadcast on 26.05.1988)
A presentation of Central Drama Unit, DG; AIR.
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