प्राकृतिक दृश्यों के मध्य शिवनाथ नदी के किनारे स्थित 23 वें तीर्थंकर भगवान श्री पार्श्वनाथ का यह मंदिर लगभग 3000 साल पहले उनके श्रमण काल में इस क्षेत्र में श्रमैन (त्याग के माध्यम से आत्म-प्राप्ति के लिए समर्पित एक भम्रणशील भिक्षुक ) के रूप में उनकी पवित्र यात्रा का स्मृति दिलाता है।
बिखरे हुए जैन मूर्तिकला के अवशेष, भक्तों की बड़ी संख्या और भगवान के चरण चिन्हों के साथ प्राचीन मंदिर – ऐतिहासिक रूप से इस क्षेत्र के लिए भगवान की यात्रा को साबित करते है। इस प्राचीन मूर्ति के मिलने से लेकर पुन: स्थापित होने तक चमत्कारीक तरीका भी स्पष्ट रूप से, उनकी दिव्य कृपा साबित करता है। यह मंदिर पत्थरों पर उत्कीर्ण जैन-भक्ति दर्शन का एक महाकाव्य है। इस तार्थस्थान की यात्रा, यात्रियों को उदार आचरण, आत्म-अनुशासन, तपस्या और समानता को प्रेरित करती है।
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