कुंडली मिलान में ग्रह मैत्री का महत्व, जानिए किस राशि का पार्टनर आपके लिए है सही -#KundaliGunMilan
वर एवं कन्या के राशि स्वामी से ग्रह मैत्री देखी जाती है। राशि का संबंध व्यक्ति के स्वभाव से है। लड़के और लड़कियों की कुंडली में परस्पर राशियों के स्वामियों की मित्रता और प्रेमभाव को बढ़ाती है और जीवन को सुखमय और तनावरहित बनाती है।
ग्रहों को दो भागों में बाटा गया है पहला दैवीय दूसरा राक्षस।
सूर्य, चन्द्र, मंगल और गुरु दैवीय राशियों के अंतर्गत आते हैं।
शुक्र, शनि, राहु और केतु राक्षस राशियों के अंतर्गत आते हैं।
रह मेेैत्री गुण मिलान मे हम ग्रहो की प्राकृतिक मित्रता का मिलान करते है।चंद्रमा जब राशी विशेष मे हो तो उस राशी के स्वामी का चंद्रमा पर विशेष प्रभाव होता है।और जातक के मन पर ग्रह विशेष का प्रभाव होने से उसके आहार – व्यवहार पर भी उस ग्रह का प्रभाव होता है।
पहले हम हर राशि के स्वामी के बारे मे जानकारी लेते है
1) मेष राशि स्वामी मंगल ग्रह है ।
2) वृष राशि स्वामी शुक्र है।
3) मिथुन राशि स्वामी बुध है
4) कर्क राशि स्वामी चंद्रमा है।
5) सिंह राशि स्वामी सूर्य है।
6) कन्या राशि स्वामी बुध है।
7) तुला राशि स्वामी शुक्र है।
8) वृश्चिक राशि स्वामी मंगल है।
9) धनु राशि स्वामी बृहस्पति है।
10) मकर राशि स्वामी शनि है।
11)कुंभ राशि स्वामी शनि है।
12) मीन राशि स्वामी बृहस्पति है।
हम वैदिक ज्योतिष में ग्रहो की मित्रता तीन भागो मे रखा गया है। कुछ ग्रह एक दुसरे के मित्र है कुछ तटस्थ कुछ शत्रु । जो इस प्रकार है
1) सूर्य
मित्र ग्रह – सूर्य, चंद्रमा ,मंगल , बृहस्पति
तटस्थ — बुध
शत्रु — शुक्र शनि
2)चंद्रमा
मित्र — सूर्य चंद्रमा बृहस्पति
तटस्थ – मंगल बुध शुक्र शनि
शत्रु — कोई नही
3) मंगल ग्रह
मित्र — सूर्य चंद्रमा मंगल बृहस्पति
तटस्थ — शुक्र शनि
शत्रु — बुध
4) बुध
मित्र — सूर्य शुक्र बुध
तटस्थ– मंगल बृहस्पति शनि
शत्रु — चंद्रमा
5) बृहस्पति
मित्र – सूर्य चंद्रमा मंगल बृहस्पति
तटस्थ – शनि
शत्रु — बुध शुक्र
6) शुक्र
मित्र — बुध शुक्र शनि
तटस्थ — मंगल बृहस्पति
शत्रु– सूर्य चंद्रमा
7) शनि
दोस्त – बुध शुक्र शनि
तटस्थ– बृहस्पति
शत्रु- सूर्य चंद्रमा मंगल ग्रह।
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