भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को युद्ध का देवता माना जाता है। यदि आप इनका ध्यान, पूजन और मंत्रों का जाप करते हैं तो यकीन मानिए कि आपको अपने काम में विजय अवश्य प्राप्त होगी। युद्ध कैसा भी हो सकता है। दुश्मन पर विजय प्राप्त करने का, शिक्षा पर, नौकरी पर या फिर बिजनेस पर विजय प्राप्ति का।
भगवान कार्तिकेय शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। दक्षिण भारत में कार्तिकेय सुब्रम्हण्य तथा मुरुगन नाम से प्रसिद्ध है। कोर्ट-कचहरी, जमीन-जायदाद, पैसे आदि के विवाद को निपटाने से पहले भगवान कार्तिकेय की आराधना की जाए तो उसमें सफलता प्राप्त होती है। तो आइए हम आपको भगवान कार्तिकेय के सिद्ध मंत्र के बारे में बताते हैं, जिससे आप विजयश्री हासिल कर सकते हैं।
श्री प्रज्ञा विवर्धन कार्तिकेय स्तोत्र कार्तिकेय भगवान पर रचाया गया है। इस स्तोत्र का वर्णन रुद्रयामल तंत्र नामक ग्रन्थ में किया गया है। इस स्तोत्र में कार्तिकेय भगवान के 28 नामो का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र अति प्रभावशाली है।
श्री प्रज्ञा विवर्धन कार्तिकेय स्तोत्र का नियमित पाठ करने से स्मरण शक्ति और बुद्धि तेज होने लगती है और ऐसा भी कहा गया है जो गूंगा हो वह भी इस स्तोत्र के पढ़ने से बात करने को सक्षम हो जाता है। इतना ही नहीं जिसे बोलने में तकलीफ हो, या बोलने में अडखडाता,हकलाता, हो वैसे बच्चों को इस स्तोत्र का पाठ करने से अवश्य लाभ मिलता हैं। इसमें कोई संशय नहीं है कि इससे लाभ नहीं होगा क्योंकि यह अनुभव सिद्ध बात रही है।
अस्य श्री प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र मन्त्रस्य
सनत्कुमार ऋषि: स्वामी कार्तिकेयो देवता
अनुष्टुप छन्द : मम सकल विद्या सिध्यर्थे , प्रज्ञा वृध्यर्थे प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र पारायणे विनियोग: !!
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II प्रज्ञा विवर्धना कार्तिकेय स्तोत्रम् II
योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनंदनः ।
स्कंदः कुमारः सेनानीः स्वामी शंकरसंभवः ॥१॥
गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः ।
तारकारिरुमापुत्रः क्रौंचारिश्च षडाननः ॥२॥
शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः ।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः ॥३॥
शरजन्मा गणाधीश पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत् ।
सर्वागमप्रणेता च वांच्छितार्थप्रदर्शनः ॥४॥
अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत् ।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥५॥
महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनम् ।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥६॥
इति श्रीरुद्रयामले प्रज्ञाविवर्धनाख्यं
श्रीमत्कार्तिकेयस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥७॥
Yogiishvaro Mahaa-Senah
Kaartikeyo[a-Aa]gni-Nandanah |
Skandah Kumaarah Senaaniih
Svaamii Shankara-Sambhavah || 1 ||
Gaangeyas Taamra Cuddashca
Brahmacaarii Shikhi Dhvajah |
Taaraka ArirUmaa Putrah
Krauncaa Rishca Ssadananah || 2 ||
Shabda brahma samudrashca
Siddhah Saarasvato Guhah |
Sanatkumaaro Bhagavaan
Bhoga moksha phalapradah || 3 ||
Sharajanmaa Gannaa dhiisha
Puurvajo Mukti maargakrt |
Sarvaagama prannetaa Ca
Vaancchitaartha pradarshanah || 4 ||
Ashtaa vimshati naamaani
Madiiyaa niiti Yah Patthet |
Pratyuussam Shraddhayaa Yukto
Mooko Vaacaspatirbhavet || 5 ||
Mahaa mantra mayaaneeti
Mama Naamaanukirtanam |
Mahaaprajnyaa mavaapnoti
Naatra Kaaryaa Vicaarannaa || 6 ||
Iti Shri Rudrayaamale PrajnyaaVivardhanAakhyam
Shrimat Kaartikeya Stotram Sampuurnnam ||7||
Meaning in English :
Lord of Yogas, great commander, He who was looked after by Karthika stars, The child of fire, the lad, the commander and the God born out of Shankara.
Son of Ganga, he who wears brass, bachelor, One with peacock flag, he who killed Tharaka, son of Parvathi, He who broke Krouncha mountain, God with six faces.
God of the sound of ocean, One with divine powers, One who is learned, one who removes darkness, One is son of fire, One who grants pleasure as well as salvation.
One born because of an arrow, God of good qualities; One who is the greater, one who shows salvation, One who is worshipped by all Vedas, And one who gives whatever is desired.,
A devotee of mine, who reads these twenty eight names, Daily at day break with attention, Would become great, devoid of attachment and a great scholar.
These names composed by me, If sung, Would make one extremely intelligent.
#KartikeyaPragyaVivardhanaStotram #MuruGanSwamiMantra @MyGuruOfficial
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