धृतराष्ट्र अंधे क्यों थे ? महाभारत की सबसे रहस्य्मयी कहानी || Kaal Chakra
बारह वर्ष के वनवास और एक वर्ष के अज्ञातवास के बाद जब पांडव-पुत्र हस्तिनापुर पहुंचे, तो उन्होंने महाराज धृतराष्ट्र के पास पहुंचकर कहा, “राजन अब हम वनवास काट चुके हैं, इसलिए आपसे आग्रह है कि आप हमारे अधिकार वापस कर दें, ताकि हम हस्तिनापुर के हित में आगे बढ़ सकें” फैसला पांडवों के हित में होना चाहिए था, किन्तु पुत्रमोह ने धृतराष्ट्र को ऐसा नहीं करने दिया. वह अपनी संतान दुर्योधन के सामने असहाय हो गए और पांडवों को कोई निर्णायक जवाब नहीं दे सके. इसका परिणाम क्या हुआ जगजाहिर है! उनका यही पुत्रमोह बाद में उनके सभी पुत्रों के वध का कारण तक बना. कहते हैं कि उनके जीवन के इस एक फैसले ने उन्हें महाभारत का इतना बड़ा विलेन बना दिया कि उनका नाम आज भी एक नकारात्मक रूप में लिया जाता है। ध्रितराष्ट्र जन्म से अंधे थे आइये जानते हैं किस पाप ने उन्हें जन्म से अंधा बना दिया था ।
☞ Read more [ Ссылка ]
☞ Follow us on twitter [ Ссылка ]
☞ Subscribe to our Channel [ Ссылка ]
☞ Circle us on G+ [ Ссылка ]
☞ Like us on Facebook [ Ссылка ]
☞ Email us for more information - kaallchakra@gmail.com
Kaal Chakra | kaalchakra | Mahabharata | Ramayana | Gita | vishnu Purana | Pauranik Sangrah | Mythology | Purana | Pauranik katha | Pauranik kahaniya | Veda | Hindu |
Ещё видео!