Bhajan composed by Swami Srikanthanandha, ex-director, Vivekananda institute of human excellence, Hyderabad, Ramakrishna math. Now,
president, Ramakrishna math, Pune
Lyrics
कैसे लगावूं तुमसे मै प्रीत अस्थिर बुध्दि मन चंचल चित्त
रामकृष्ण प्रभु इस युगके नायक में हूँ दास तेरा चरणाश्रितः ।। कैसे लगावूं तुमसे मै प्रीत ।।
हर पल होता जगमे परिवर्तन जड़ चेतनके तुमहो चेतन बन आये अब चंद्रमणि सुत अचिन्त्या लीला जीवन अतभुत ।। कैसे लगावूं तुमसे मै प्रीत ।।
सबके मन तुमकोहे अवगत हृदयनिवासी साक्षीस्वरूपवत प्रगटहुये कर ने जग का हित तन मन प्राण कियो हो समर्पित
रूप तुम्हारा रहे चित्त में नित सदा सेवामे (प्रभु) सेवारात प्रेम ह्रदय से गावू तेरे गीत मेरी जीत में होगी तेरी जीत ।। कैसे लगावूं तुमसे मै प्रीत ।।
Ещё видео!