संगठित अपराध, राजनीतिक और आर्थिक संस्थानों पर कब्ज़ा जमा सकता है. गैरकानूनी व्यापार हर दिन ज्यादा मुनाफेवाला होता जा रहा है. क्या इस वैश्विक अपराध के जंजाल को किसी तरह खत्म किया जा सकता है?
भ्रष्टाचार और ड्रग्स की तस्करी अब किसी एक छोटे इलाके की समस्या नहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय तस्कर, आतंकवादी संगठनों और राजनेताओं के साथ मिलकर बेतहाशा हिंसा फैला रहे हैं और मासूमों की जानें खतरे में डाल रहे हैं. मुश्किल और लंबी खिंचती जांच व सुरक्षा प्रक्रियाओं के कारण ये अपराधी गिरफ्तारी और सज़ा से बच जाते हैं.
ड्रग्स की तस्करी एक वैश्विक व्यापार है. ड्रग्स के तस्कर लैटिन अमेरिका से अपना सामान यूरोप भेजते हैं. अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर पेशेवर हत्यारों से हत्याएं करवाने तक, हम देख रहे हैं कि यह अंडरवर्ल्ड का व्यापार किस हद तक बर्बादी ला रहा है. हत्याएं, धमाके, और सुनियोजित हमले यह सिर्फ अपराधियों पर ही असर नहीं डालते, बल्कि उनके परिवारों, गवाहों, पत्रकारों, और बाकी बेगुनाह पीड़ितों पर भी प्रभाव डालते हैं.
एफबीआई और यूरोपोल के मुताबिक, दुनिया के हर देश के अब अपने आपराधिक समूह और कार्टेल बन गए हैं. जर्मनी भी अछूता नहीं है. यहां भी यह अपराधी गिरोह मज़बूती से अपनी पकड़ बना रहे हैं. जैसे कि ड्रग तस्करी का ही उदाहरण ले लीजिए, जर्मनी, बाल्कन रूट के ज़रिए आने वाले ड्रग्स का एक सुव्यवस्थित बाज़ार और यातायात का केंद्र है. दक्षिण अमेरिका अपना सामान सीधे अमेरिका को भेजता है. जो भी इन समूहों का पर्दाफाश करने की कोशिश करता है, वो अपनी जिंदगी को खतरे में डाल लेता हैं.
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, संगठित अपराध वाले समूह अपनी 2 हजार अरब डॉलर के वार्षिक मुनाफे में से आधा हिस्सा विश्वभर के राजनेताओं को घूस देने में खर्च कर देते हैं. इसमें अपराधियों को साथ मिलता है वित्तीय व्यवस्था और कानून व्यवस्था चलाने वालों का. बैंकों के जरिये काला धन ठिकाने लगाना कोई नई बात नहीं. सरकारें टैक्स के ज़रिए पैसा कमाती हैं और आतंकी समूह इस प्रक्रिया में और अमीर होते जाते हैं.
ड्रग्स और काले धन के अलावा भी कई चीज़ों की आवाजाही होती है. तस्करी, अब संगठित अपराध के लिए एक मुनाफेवाला व्यापार बन गए हैं, जिससे हर साल 150 अरब डॉलर की कमाई होती है.
क्या रूस जैसे हालात दूसरी जगह भी तैयार हो सकते हैं, जहाँ नेताओं, खुफिया एजेंसियों और अपराधियों का एक समान हित है? क्या यह एक समय पर स्थिर लोकतंत्र कहे जाने वाले देश जैसे कि अमेरिका या कुछ खास यूरोपीय देशों में भी हो सकता है? क्या कोई और रास्ता है? या सरकारी जांच और निगरानी एजेंसियों के पास उन्हें रोकने की ताकत नहीं है?
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