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उत्तर प्रदेश के कस्बे गोला गोकर्णनाथ में छोटे काशी कॉरिडोर के निर्माण के तहत पौराणिक शिव मंदिर परिसर में ध्वस्तीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। इस कार्य को लेकर प्रशासन ने अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। गुरुवार को प्रशासन ने तोड़फोड़ करने के लिए बुलडोजर और पोकलैंड मशीनों का इस्तेमाल किया। यह कार्य इस क्षेत्र में चल रहे काशी कॉरिडोर के विकास का हिस्सा है, जिसके तहत मंदिर परिसर और आसपास की अन्य संरचनाओं को ध्वस्त किया जा रहा है। इस अभियान में एक पोकलैंड मशीन का इस्तेमाल किया गया, जो अपने आकार और शक्ति में चार बुलडोजरों के बराबर होती है। इसकी हाइड्रोलिक क्षमता और पावर बुलडोजर से चार गुना अधिक होती है, जिससे यह अत्यधिक कठिन संरचनाओं को भी जल्दी और प्रभावी ढंग से ध्वस्त कर सकती है। पोकलैंड मशीन का इस्तेमाल गोला गोकर्णनाथ के पौराणिक शिव मंदिर परिसर में किए गए ध्वस्तीकरण कार्य में किया गया। गुरुवार को मंदिर परिसर के उत्तर में स्थित एक दो मंजिला रिहायशी मकान और दक्षिण में पानी की टंकी के पास स्थित श्री राम मंदिर को भी तोड़ा गया। इसके बाद पोकलैंड मशीन ने पूरी तरह से गोस्वामी धर्मशाला को ध्वस्त कर दिया। इस ध्वस्तीकरण अभियान का मुख्य उद्देश्य छोटे काशी कॉरिडोर के लिए जगह बनाना है। इसी दौरान, नजूल की भूमि पर बने कुछ निर्माणों को भी ध्वस्त किया गया। इसके बाद, गुरुवार को कॉरिडोर के तहत चिन्हित किए गए मकानों पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया। दोपहर तक, दो मकानों को ध्वस्त कर दिया गया था। कॉरिडोर की जद में आने वाले मकानों पर प्रशासन की कार्रवाई जारी रही। एक दिन पहले, बुधवार को एसडीएम विनोद गुप्ता और आर्किटेक्ट उत्कर्ष शुक्ला ने कई बिंदुओं पर विचार विमर्श किया। इस दौरान, शिव मंदिर के पास चार मकानों को चिन्हित किया गया था, जिनमें वीरेंद्र गिरि, उषा गिरि, धर्मराज गिरि और सूरज उर्फ बंटू गिरि के मकानों का नाम शामिल था। गुरुवार को इन मकानों पर बुलडोजर चलाया गया और उन्हें ध्वस्त कर दिया गया। इसके अतिरिक्त, मंगलवार की शाम को तीर्थकुंड के दक्षिण में बने रोशनगर के मूलचंद हंसराम धर्मशाला को भी चिन्हित किया गया था, जिसे ध्वस्त करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है। ध्वस्तीकरण के दौरान मंदिर परिसर में बनी एक मठिया भी क्षतिग्रस्त हो गई। हालांकि, इसे प्रशासन की ओर से कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया, क्योंकि मुख्य उद्देश्य कॉरिडोर के लिए जमीन हासिल करना था। गोला गोकर्णनाथ के छोटे काशी कॉरिडोर के लिए किए जा रहे ध्वस्तीकरण से प्रभावित होने वाले परिवारों को लेकर स्थानीय विधायक ने एक संवेदनशील पहल की। विधायक अमन गिरि ने इस ध्वस्तीकरण के बीच प्रभावित परिवारों को गोद लेने का निर्णय लिया। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि किसी भी परिवार को बेघर नहीं होने दिया जाएगा। विधायक ने कांशीराम आवास कॉलोनी में जाकर प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। विधायक अमन गिरि ने कहा, "इन लोगों की हर समस्या का समाधान किया जाएगा। आवास, शौचालय, बिजली, पानी समेत सभी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी।" उन्होंने यह भी कहा कि जो परिवार इस कॉरिडोर की जद में आकर विस्थापित होंगे, उन्हें हमेशा उनकी सरकार से सहायता प्राप्त होगी। इस ध्वस्तीकरण अभियान के दौरान प्रशासन और स्थानीय नेताओं के बीच सामंजस्य का काम करते हुए प्रभावित परिवारों की मदद का वादा किया गया है। हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर कई स्थानीय लोगों ने चिंता व्यक्त की है, क्योंकि यह प्रक्रिया उनके घरों और पारंपरिक स्थानों को नष्ट करने का कारण बन रही है। प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि यह सब छोटे काशी कॉरिडोर के लिए किया जा रहा है, जिसे धार्मिक पर्यटन और स्थानीय विकास के उद्देश्यों से जोड़ा गया है। स्थानीय समाज और प्रशासन के बीच इस ध्वस्तीकरण प्रक्रिया के दौरान संवाद और सहयोग की आवश्यकता महसूस की जा रही है। प्रशासन का मानना है कि इस परियोजना से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और गोला गोकर्णनाथ का विकास होगा। लेकिन स्थानीय निवासी और प्रभावित परिवार इसे अपनी जड़ें खोने के रूप में देख रहे हैं। समाज के विभिन्न हिस्सों से उठ रही इन आवाज़ों के बावजूद, प्रशासन और विधायक के बीच बातचीत जारी है ताकि प्रभावित परिवारों को आवास और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
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