#NiranjanSaar
मैं तो गिरधर के घर जाऊँ ।
गिरधर म्हाँरो साँचो प्रीतम, देखत रूप लुभाऊँ ॥
रैण पड़ै तब ही उठि जाऊँ, भोर भये उठि आऊँ ॥
रैण दिना वाके संग खेलूं, ज्यूं त्यूं ताहि रिझाऊँ ॥
जो पहिरावै सोई पहिरूँ, जो दे सोई खाऊँ ॥
मेरी उनकी प्रीत पुराणी, उण बिन पल न रहाऊँ ॥
जहाँ बैठावे तितही बैठूं, बेचै तो बिक जाऊँ ॥
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बार बार बलि जाऊँ ॥
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