गुप्त नवरात्रि के पहले दिन महाविद्या माँ काली की कथा || Gupt Navratri ki Katha || Maa Kali ki katha
Today on 22 january 2023, I am presenting the story of Mahavidya #Kali in front of all of you on the first day of Ashadh Gupta Navratri. First of all, I wish you all a very Happy #GuptNavratri. The Gupta Navratri of Ashadh month has started from today and in these nine days, 10 Maha Vighas of Goddess Durga are worshipped. In which the people of household life do worship and sadhus, sannyasis, occultists, etc. do spiritual practice. Tantra sadhna has special significance in Gupt Navratri and ten Maha Vighas of Goddess are worshiped for tantra power and siddhis. Ten Mahavigha are considered to be incarnations of Adi Shakti and are the presiding powers of 10 directions. There are two clans in the ten Mahavidyas, which are Kali Kul and Srikula.
Kali Kul – Mother Kali, Mother Tara and Mother Bhuvaneshwari Srikul – Mother Baglamukhi, Mother Kamala, Mother Chhinnamasta, Mother Tripura Sundari, Mother Bhairavi, Mother Mantgi and Mother Dhumavati
Mother Kali is the first presiding deity of the ten Mahavidyas. All the troubles, calamities and demonic powers in the world end as soon as we take the name of Maa Kali.
Maa Kali is the dark and fearsome form of Bhagwati Durga who was born to kill the demons. This is the only power from which even time itself fears.
The formidable form of these is to give fearlessness. Mother Kali wears a garland around her neck, she holds a khadag in one hand, a trident in the other hand and a severed head in the third hand. The demonic powers remain neutral in front of those who worship Maa Kali. They get form, fame, victory and get freedom from worldly obstacles. From the eyes and heart of Maa Kali, there is a rain of love for the devotees. Those who are very troubled by their enemies, they should worship Maa Kali during Gupt Navratri. By doing this one gets freedom from the enemy. Worshiping Maa Kali also removes the fear of premature death. Maa Kali is worshiped in two ways in Gupt Navratri. Those who want to acquire Tantric education, they worship Mother Kali on this day through Tantra Vidya. Some people worship Maa Kali in a normal way on the first day of Gupt Navratri. By which all the troubles of their life are removed. Let's start the story of Maa Kali
काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी।
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा।
बगला सिद्ध विद्या च मातंगी कमलात्मिका
एता दशमहाविद्याः सिद्धविद्या प्रकीर्तिताः॥
नमस्कार दोस्तों, आज मैं आप सभी के समक्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन महाविद्या काली की कथा प्रस्तुत कर रही हूं। सबसे पहले आप सभी को गुप्त नवरात्रि के शुभारंभ की हार्दिक शुभकामनाएं। आज से आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र शुरू हो गए हैं और इन नो दिनों में देवी दुर्गा की 10 महाविघाओं की साधना की जाती है। जिसमें गृहस्थ जीवन वाले पूजा-पाठ करते हैं और साधु, सन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने वाले तांत्रिक आदि साधना करते हैं। गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना का विशेष महत्व है और देवी की दस महाविघाएं की पूजा तंत्र शक्ति और सिद्धियों के लिए की जाती है। दस महाविघा आदि शक्ति की अवतार मानी जाती हैं और10 दिशाओं की अधिष्ठात्री शक्तियां हैं।
दस महाविद्याओं में दो कुल माने जाते हैं, जो काली कुल तथा श्रीकुल हैं।
काली कुल – मां काली, मां तारा और मां भुवनेश्वरी
श्रीकुल – मां बगलामुखी, मां कमला, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भैरवी, मां मांतगी और मां धूमावती
दस महाविद्या की पहली अधिष्ठात्री देवी हैं मां काली। संसार में जितने भी कष्ट, विपत्तियां, आसुरी शक्तियां हैं, मां काली का नाम लेते ही समाप्त हो जाती हैं।
मां काली भगवती दुर्गा का श्याम और भयानक रूप है जिनकी उत्पत्ति राक्षसों को मारने के लिए हुई थी। यह एकमात्र ऐसी शक्ति है जिनसे स्वयं काल भी भय खाता है।
इन का विकराल रूप अभय प्रदान करने वाला है। माँ काली अपने गले मुंडमाला धारण करती हैं इनके एक हाथ में खड्ग दूसरे हाथ में त्रिशूल और तीसरे हाथ में कटा हुआ सिर होता है. मां काली की पूजा करने वालों के सामने आसुरी शक्तियां निस्तेज रहती हैं। उन्हें रूप, यश, विजय की प्राप्ति होती है तथा सांसारिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है। मां काली की आंखों तथा हृदय से भक्तों के लिए प्रेम की वर्षा होती है।जो लोग अपने शत्रुओं से बहुत परेशान रहते है उन्हें गुप्त नवरात्रि में मां काली की आराधना करनी चाहिए. ऐसा करने से शत्रु से मुक्ति मिलती है. माँ काली की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है. गुप्त नवरात्रि में दो तरीकों से मां काली की पूजा की जाती है. जो लोग तांत्रिक विद्या हासिल करना चाहते हैं वह लोग इस दिन मां काली की तंत्र विद्या द्वारा उपासना करते हैं. कुछ लोग गुप्त नवरात्र के प्रथम दिन सामान्य तरीके से मां काली आराधना करते हैं. जिससे उनके जीवन के सभी संकट दूर हो जातें हैं. आइए शुरू करते हैं मां काली की कथा
1. काली मंत्र "ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः" #mahvidya #guptnavratrikatha #mahakalikatha #navratrikatha #गुप्तनवरात्रि
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