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वे जिनका लिखा उपन्यास आपका बंटी हम सभी के जेहन में रचा-बसा है. वे जिन्होंने रजनी जैसा प्रखर आवाज उठाने वाला महिला किरदार लिखा, स्वयं अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना किया. आज औरतनामा में बात हो रही है प्रसिद्ध कहानीकार 'मन्नू भंडारी' की. मन्नू भंडारी से उनके पति लेखक राजेंद्र यादव से रिश्ते और पारिवारिक दायित्व के प्रति उदासीन थें. व्यक्तिगत जीवन में भले ही दोनों गाड़ी के पहियों के समान ना हों लेकिन लेखन में दोनों ही अपनी विधा में श्रेष्ठ....दोनों ही ने मिलकर एक उपन्यास का सयुंक्त लेखन किया था. एक इंच मुस्कान...इसका पहला अध्याय राजेंद्र जी ने लिखा था तो दूसरे को मन्नू जी ने उकेरा था. प्रथम अध्याय को मिली जुली प्रशंसा मिली जबकि दूसरा अध्याय बहुत चर्चित हुआ. संपादक के द्वारा प्रथम अध्याय के लिए दिखाई गई चिंता और दूसरे अध्याय के प्रति प्रशंसा राजेन्द्र यादव को अखरने लगी थी. हर कहानी के छपने पर पाठकों की जैसे प्रशंसात्मक प्रतिक्रियाएं मिलती उनकी हौसला अफजाई के लिए वही काफी था.मन्नू भंडारी का जन्म मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा गांव में हुआ था. उनके पिता सुख सम्पत राय भी जाने माने लेखक थे. मन्नू के बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था. लेखन के लिए मन्नू नाम का चुनाव उन्होंने स्वंय किया था. उनके व्यक्तित्व के दो अलग-अलग पहलू थे, कहीं वे बेहद मुखर थीं. कहीं उन्होंने चुप हो जाने का विकल्प चुना. वे लंबे समय तक दिल्ली के मिरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं. एक विदुषी स्त्री और शिक्षक से कहीं इतर मन्नू भंडारी ने एक कथाकार के रूप में अपनी बड़ी छाप छोड़ी. बिना किसी गुटबंदी और खेमेबाजी का शिकार हुए वह लगातार लिखतीं ... अपनी रचनाओं से मन्नु भंडारी को काफी लगाव भी था. इसके अलावा यही सच है ...कथानक पर रजनीगंधा नामक फिल्म बनाई गई थी. अनेक पुरुस्कारों से सम्मानित मन्नु भंडारी को प्रतिष्ठित व्यास सम्मान भी मिला था. औरतों की जिंदगी में , चाहे वे कितनी भी पढ़ी लिखी आत्मनिर्भर हों, वे अपने वैवाहिक जीवन को चलाने की हर संभव कोशिश करती हैं लेकिन मन्नु जी ने जीवन के आखरी पड़ाव में उन्होंने वैवाहिक बंधन से स्वयं को मुक्त कर लिया था...उन्हें समय ना दे पाने का राजेंद्र यादव जी को अंत में अफसोस भी था...जिस पर मन्नु भंडारी का कहना थाः
'अब एहसास हुआ भी तो क्या? मेरी तो एक ही जिंदगी थी, जो दुख और अकेलेपन में बीत गई. 25 साल पहले बेटी रचना के जन्म के बाद से राजेंद्र के साथ मेरा कोई शारीरिक संबंध नहीं रहा. मेरा जीवन तो मेंटली, इमोशनली, सेक्चुअली बैंकरप्ट ही रहा. औऱ अंत में उन्होंने इस दुखती रग को अपने जीवन से छिटक कर आगे बढ़ने का फैसला कर लिया. ************
ये वे लेखिकाएं हैं, जिन्होंने न केवल लेखन जगत को प्रभावित किया, बल्कि अपने विचारों से समूची नारी जाति को एक दिशा दी. आज का युवा वर्ग कलम की इन वीरांगनाओं को जान सके और लड़कियां उनकी जीवनी, आजाद ख्याली के बारे में जान सकें, इसके लिए चर्चित अनुवादक, लेखिका, पत्रकार और समाजसेवी श्रुति अग्रवाल ने 'साहित्य तक' पर 'औरतनामा' के तहत यह साप्ताहिक कड़ी शुरू की है. आज इस कड़ी में श्रुति 'मन्नू भंडारी' के जीवन और लेखन की कहानी बता रही हैं. 'औरतनामा' देश और दुनिया की उन लेखिकाओं को समर्पित है, जिन्होंने अपनी लेखनी से न केवल इतिहास रचा बल्कि अपने जीवन से भी समाज और समय को दिशा दी.
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