गीत रामायण | Geet Ramayan by Suresh Wadkar | सुनो प्रेम से भक्त जनों ये रामायण श्री राम की
जिस घर में हर रोज रामायण का पाठ होता है, उस घर में लक्ष्मी सदैव निवास करती है और सुख-शांति बनी रहती है !सुनिए मात्र ९० मिनट में संपूर्ण रामायण का सार श्री सुरेश वाडकर की भक्तिमय आवाज़ में !!
Song - Geet Ramayan
Singer - Suresh Wadkar
Music Director - Govind Prasann Saraswati
Lyrics - Raman Dwivedi
VFX Head - Chetan Garud - Veena Garud
Edit & Visual Graphics at - Chetan Garud Productions Studios LLP
00:00 Intro
00:10 Bal Kand
46:43 Ayodhya Kand
01:03:09 Aranya Kand
01:08:52 Kishkindha Kand
01:11:48 Sundar Kand
01:15:58 Lanka Kand
01:25:44 Uttar Kand
#geetramayan #ramayan #sureshwadkar
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Lyrics
सुनो प्रेम से भक्त जनों ये रामायण श्रीराम की।
मर्यादा पुरुषोत्तम रघुवर सीतापति सुखधाम की।
ऋषि अगस्त्य ने इसे सुनाया सर्वप्रथम शिवनाथ को।
कालांतर ऋषि याज्ञवल्क ने मुनिवर भारद्वाज को।
ध्यानमग्न हो सुना गरुड़ ने कागभुसुंड की वाणी से।
महादेव ने भावुक स्वर में कहा शिवा कल्याणी से।
वाल्मीक और तुलसीदास ने सुमधुर महिमा गान की।
सुनो प्रेम से भक्त जनों ये रामायण श्रीराम की।1।।
कल्प कल्प में राम हुए हैं कल्प कल्प में रामायण।
धर्म ध्वजा फहराने को हर कल्प में प्रकटे नारायण।
सब कल्पों के हेतु भिन्न थे किन्तु एक अभिप्राय था।
सृष्टि पर साम्राज्य सदा हो सत्य धर्म और न्याय का।
ऋषियों मुनियों और संतो की रक्षा हो सम्मान की।
सुनो प्रेम से भक्त जनों ये रामायण श्रीराम की।2
एक कल्प में शापित होकर जय और विजय बने रावण।
जालंधर दूसरे कल्प में प्रकट हुआ बनकर रावण।
कल्प तीसरे में शिव के गण जन्मे थे रावण बनके।
क्रमशः हरिक कल्प में श्रीहरि प्रकटे हैं मानव बनके।
जिनकी जैसी रही कामना कृपा मिली सुखधाम की।
सुनो प्रेम से भक्त जनों ये रामायण श्रीराम की।3
सवैया
चौथे कल्प की गाथा सुनो मनु राजा हुए रानी शतरूपा।
राज-सुकाज दिए सुतको तप करने लगे लै लक्ष्य अनूपा।
घोर तपस्या के बाद उन्हें प्रभु ने वांछित वरदान दिया।
इस कल्प में उनके सुत बनके प्रभु ने रामावतार लिया।
दोहा
विस्तृत और विशाल अति, प्रभुकी कथा अनूप।
अकथनीय अनुपम अगम, लीला चरित स्वरूप।
कारण कारक करम प्रभु, वही क्रिया करतार।
त्रिगुणातीत जगतपति, लीला अपरम्पार।
अब मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार की गाथा सुन लीजै।
सत्य धर्म और मर्यादा के अनुपम मोती चुन लीजै।
रावण बना प्रतापभानु तो पाप से पृथ्वी त्रस्त हुई।
पल पल बढ़ते अनाचार से व्याकुल और संतप्त हुई।
चिंतित व्यथित हृदय में चिंता होने लगी निदान की।
सुनो प्रेम से भक्त जनों ये रामायण श्रीराम की।4
गाय का रूप बनाकर पृथ्वी तब ब्रह्मा के पास गई।
व्यथा- कथा कहते- कहते वो मूर्छित बारम्बार भई।
ब्रह्मा-शिव और सभी देवता भावी-संकट भांप गए।
सम्यक-हित अनुमाने तो भयसे चिंतासे काँप गए।
अनुनय विनय प्रार्थना कीन्ही नारायण भगवान की।
सुनो प्रेम से भक्त जनों ये रामायण श्रीराम की।5
जय-जगदीश्वर जय-त्रिभुवनपति दीनबंधु-दुखहारी।
अंतर्यामी प्रभु अब सुन लो तत्क्षण विनय हमारी।
रावण - कुम्भकर्ण दोउ भाई नीच भयंकर पापी।
खल- अन्यायी- दुष्ट- अधर्मी क्रूर अधम संतापी।
सुर नर मुनि संतों भक्तों की रक्षा कीजै प्राण की।
सुनो प्रेम से भक्त जनों ये रामायण श्रीराम की।6
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