महान् नेता- महात्मा गाँधी पर निबंध लेखन प्रतियोगिता के लिए मैने इस वीडियो में महात्मा गांधी का जीवन परिचय बताया है अथवा महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखें, बताया है
रूपरेखा-
१. प्रस्तावना,
२. जन्म,
३. जीवन की घटनाएँ,
४. विशेषताएँ,
५. विश्व में स्थान,
६. मृत्यु।
गाँधी जी का जन्म २ अक्टूबर सन् १८६९ को काठियावाड़ के पोरबन्दर नाम स्थान में हुआ था। इनका नाम मोहनदास और पिता का नाम कर्मचन्द गाँधी था। गुजरात में पिता का नाम सम्मिलित करके बोला जाता है इसलिए गाँधी जो अपना हस्ताक्षरों में मोहनदास कर्मचन्द गाँधी' लिखते थे! आपको माता का नाम श्रीमती पुतलीबाई था। यह जाति के वैश्य थे। उनको प्रारम्भिक शिक्षा गुजरात में ही हुई। अठारह वर्ष की अवस्था में हाई स्कूल पास करने के बाद ये वकालत पढ़ने इंग्लैण्ड गये। यह अच्छे चाल-चलन के कारण शिक्षक और सहपाठी सभी के प्रिय थे। इनको छात्रवृत्ति और पुरस्कार प्रायः मिलते रहते थे, परन्तु ये खेलों में कम भाग लेते थे। श्रवण की पितृ भक्ति और सत्यवादी हरिश्चन्द्र नाटक देखकर आपने माता-पिता की सेवा और सच बोलने की प्रतिज्ञा की।
राष्ट्र युग के निर्माता गाँधी जी अपने जीवन की घटनाओं से प्रभावित होकर दिनों-दिन चमकते गये। वकालत करने के बाद एक मुकदमे में गाँधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ के न्यायालय में गाँधी जी पगड़ी बाँधकर गये। न्यायाधीश ने इन्हें पगड़ी उतारने को कहा, परन्तु इन्कार करने पर गाँधी जी को न्यायालय से बाहर कर दिया गया। प्रथम श्रेणी का रेल का टिकट लेने पर भी इनको दबरदस्ती ट्रेन से उतार दिया गया। अंग्रेज कोचवान ने घोड़ागाड़ी में भीतर न बैठाकर बल्कि छत पर बैठने को कहा। विरोध करने पर उसने पीटना आरम्भ कर दिया।
अमानवीय व्यवहारों से पीड़ित होकर सत्याग्रह किया। गाँधीजी सत्याग्रह में विजयी होकर स्वदेश वापिस आये। इनके मन में विजय की भावना प्रेरित होकर देश को स्वतन्त्र कराने की अभिलाषा जागृत हुई। सन् १९२० में असहयोग आन्दोलन को छोड़कर मद्य-निषेद्य आदि सरकारी वस्तुओं का बहिष्कार एवं विदेशी वस्त्रों की होती आदि का कार्य सम्पन्न हुआ। देश में जागृति पैदा हुई। मोतीलाल नेहरू,
देशबन्धु, चितरंजन दास, जमुनालाल बजाज जैसे व्यक्ति भी मैदान में आ गये। इनको राजद्रोह के मुकदमे चलाकर अनेक बार जेल भेजा गया। अनेक कठिनाइयों के बाद स्वतन्त्रता का मंगल प्रभाव १५ अगस्त, १९४७ को देश के बँटवारे के साथ आया।
गाँधी जी समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। इनकी निर्भीकता, सत्य वचन, अहिंसा, देश-स्वतन्त्रता, हरिजन-प्रेम आदि ने देश को बदल दिया।
'सादा जीवन उच्च विचार" का आदर्श प्रस्तुत किया। जो कुछ कहा वही करके दिखलाया। धर्म से राजनीति को जोड़कर रामराज्य का आदर्श उपस्थित किया। रामराज्य की पूर्ति के लिए जिए और उसके लिए मरे।
गाँधीजी युग-सृष्टा महापुरुष, विश्व-वन्दनीय, राष्ट्र-देवता, राष्ट्रपिता, बापू आदि के नाम से सम्बोधित किये जाते थे। बिड़ला मन्दिर से लौटते समय इन पर क्रूर नाथूराम गोडसे ने तीन फायर किये।
राम ! कहकर अमर ज्योति में लीन हो गये।
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