सर्वविद्या की राजधानी काशी में ज्योतिष परंपरा काफी पहले से ही समृद्ध रही है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के ज्योतिषियों की गणना बेहद सटीक होती है। यही वजह है कि ज्योतिष विद्या पर काशी के विद्वानों का एकाधिकार रहा है। वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष रहे डा.नागेंद्र पांडेय काशी की ज्योतिष परंपरा के ऐसे समृद्ध संवाहक हैं जिन्होंने ग्रह-नक्षत्रों की चाल पर ऐसे शोध ग्रंथ लिखे हैं जिसे पढ़कर कोई भी आसानी से वर्तमान और भूतकाल की स्थितियों का पता लगा सकता है। चिड़ियों का कलरव हो या चींटियों की आवाजाही, इसके आधार पर भी भविष्यवाणियां की जा सकती हैं। नक्षत्रों की गणना में पर दर्जनों शोधग्रंथ लिखने वाले डा.नागेंद्र पांडेय के यात्रा मुहूर्त आज भी बेहद सटीक एवं मंगलकारी होते हैं। चुनाव कोई भी हो, शह और मात की गणना में इनका कोई जवाब नहीं है। डा.नागेंद्र ने ज्योतिष विज्ञानं समिति बनाई है। यह संस्था ज्योतिष के तमाम विषयों पर शोध करती हैैै। साथ ही महिला ज्योतिषियों को इस इस क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और हर तरह का सहयोग भी देती हैैै।
डा. नागेंद्र पांडेय ने चार खंडों में एक वृहत्संहिता लिखी है जिसे ज्योतिष का इंसाइक्लोपिडया माना जाता है। हालांकि वह इस बात से आहत हैं कि दुनिया भर में ज्योतिषीय गणनाएं गड़बड़ और गलत पंचांगों से की जा रही है, जिससे ज्योतिषी बदनाम हो रहे हैं। सही पंचांग बनाने के लिए की पुख्ता योजना को अमलीजामा क्यों नहीं पहनाया जा सका? काशी का ज्योतिष परंपरा पर अब सवालिया निशान क्यों लगाए जा रहे हैं। इन ढेर सारे सवालों का जवाब दे रहे हैं डा.नगेंद्र पांडेय जी। निजी समस्याओं के निराकरण अथवा ज्योतिषीय परामर्श के लिए संपर्क करें।
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झुमरी तलैया
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