मुल्तानी मिटटी से बाल धोने से बाल अच्छे व होते हैं और चिकिनी मिटटी से भी बाल धोने से बाल मुलायम अच्छे होते हैं मर्ण स्नान के बाद में थोडा अभ्यंग की मसाज किया और उसके बाद में अभी हम सोनावात में प्रवेश करेंगे इसका टेम्प्रेचर हैं 68 डिग्री इसके अंदर सिर में ठंडा तौलिया रखते हैं जिससे की पुरे शरीर में पसीना आ जाए और उसका असर मस्तिष्क पर न हो जिसको उच्च रक्तचाप हैं उनके लिये बहुत जरूरी सावधानी हैं जिनको हार्ट की परेशानी हैं उनके लिये हार्ट पर भी रखते हैं तो आँखों पर और सिर पर ठंढा कपड़ा रखकर सोनावात लेना चाहिए स्टीमवाथ भी ज्यादा बेहतर होती हैं जिसमे पुरे शरीर को अंदर और सिर को बाहर करके किया जाता हैं योग ग्राम में जितने भी स्वास्थ साधक आते हैं उनको प्रतिदिन षट्कर्म की क्रिया का अभ्यास कराते हैं और जिनको आवश्यक हैं उन्हें पंचकर्म भी कराते हैं विविध प्रकार की प्राकृतिक चिकित्सा देते हैं प्रकृति के साथ उनको जोड़ते हैं आहर विहार विचार संस्कार शुद्धि करते हैं शरीर और अंतकर्ण की शिद्धि के द्वारा सम्पूर्ण यहाँ आने वाले रोगी और साधक प्राप्त करते हैं योगाशास्त्र में छ: कर्मो का विधान किया हैं शुद्धि के लिये भौति में वस्त्र निगलते हैं और उससे ऊपर की सफाई करते हैं पानी पीते हैं और पेशाब करते हैं तो पूरा पेट साफ हो जाता हैं ये कायाकल्प जैसी प्रक्रिया हैं भस्ती में मुलबंध लगाते हैं पानी में बैठकर के एनस को ढीला करके तो पेट में पानी भर जाता हैं और बाद में उसको निकाल देते हैं ये सब नही कर पते इसलिये यहाँ एनिमा दिया जाता हैं नेच्रोपेथी में और नेतिस में जलनेति सुत्रनेती किया जाता हैं ताटक में सूर्य का दीपक का विशेष बिंदु दिया जाता हैं नोली में श्वास को बाहर छोडकर के पेट को गोल घुमाते हैं और भी विविध प्रकार की प्रकृतिक चिकित्सा हैं सौं से अधिक प्राकृतिक चिकित्सा की व्यवस्था हैं पानी पीकर के जो कुंजन क्रिया करते हैं ये जल धोती हो गयी फिर ऐसी वस्त्र धोती भी होती हैं कुंजन क्रिया कफ के लिए और एसिडिटी जिनको बढ़ जाती हैं जो पित के लिये बहुत उपयोगी हैं जिनको उच्च रक्तचाप होता हैं हृदय रोग होता हैं उन्हें नही कराते हैं और जल निति सूत्र निति भी नही कराते हैं क्योंकि कई बार उनको अटैक पड़ जाता हैं इसलिये इसमें इतनी सावधानी रखी जाती हैं जिनको नजला बहुत पुराना हैं उन्हें जलनिति व सूत्रनिति रोज करना चाहिए स्वस्थ व्यक्ति सात दिन में पन्द्रह दिन में एक बार जरुर कर लेना चाहिए तिलनिति के बारे में बता रहे हैं गुनगुना पानी लेते हैं और गुनगुने पानी को पीकर के जिनको कफ बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ हैं वे इसमें थोडा सेंधा नमक मिलाये और इतना पियें जिससे की वमन उल्टी करने का मन करे इसमें जल्दी जल्दी पानी पीते हैं ऐसे समस्या समान्य पानी निकलेगा और उल्टी होने लगेगी और इससे पूरा शुद्धि करण होने लगेगी अब जलनीति के बारे में बता रहे हैं नाक में पानी को एक ओर से डालेंगे और दुसरे ओर से पानी निकलने लगेगा इसमें नाक से साँस नही लेंगे मुंह से साँस लेंगे जिनको कफ की समस्या हैं वो थोड़ा सेंधा नमक डालेंगे फिर उसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ से करेंगे फिर थोड़ी देर कपालभाति कर लेंगे अब तेलनीति के बारे बता रहे हैं बादाम का तेल मस्तिष्क के लिये बहुत ही अच्छा हैं रोज एक चम्मच दूध के साथ ले बादाम के तेल को नाक में डाले और आँख में चला जाये तो कोई दिक्कत नही होती हैं इस तरह से बादाम रोगन को नाक में डाल सकते हैं ये आरोग्य के लिये बहुत अच्छा हैं इससे आँखों की समस्या नही होगी और गले के उपर जितने भी रोग हैं सिरों रोग हैं माइग्रेन पेन हैं और तमाम तरह की बीमारी हैं उस सबके लिये ये ठीक हैं और नाशिक रोग हैं आँखों के रोग हैं गले के कफ के लिए इन सबके लिये अच्छा हैं अब सूत्रनिति के बारे में बता रहे हैं सूत को नाक में डालेंगे
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