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प्रिय साथियो,
दर्शन सीरीज़ में एक बार फिर से आपका स्वागत है!
दर्शन सीरीज़ के इस पाँचवें एपिसोड में 'जैन दर्शन (Jain Philosophy)' विषय पर चर्चा की गई है। इसमें मेरी कोशिश है कि जैन दर्शन से जुड़े कुछ बुनियादी प्रश्नों जैसे- जैन दर्शन क्या है? इसके सिद्धांत क्या हैं? जैन धर्म और हिंदू धर्म में क्या अंतर है? जैन समुदाय ईश्वर को नहीं मानता तो वर्धमान महावीर को भगवान महावीर क्यों कहते हैं? जैन समुदाय के लोग संख्या में इतने कम हैं, फिर भी वे इतने समृद्ध कैसे हुए? स्यादवाद का संबंध आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनता है, क्या यह सच है? और आत्मा के अस्तित्व और जगत के निर्माण व संचालन को लेकर इनका विचार कैसे शेष दर्शनों से अलग है एवं वर्तमान समाज में इनकी प्रासंगिकता किस रूप में है? इन सभी पक्षों से गुज़रना संभवतः आपके लिये रुचिकर रहे!
इस सेशन के लिये हमने पहली बार लगभग 100 दर्शकों को आमंत्रित किया था। ये दर्शक उन 3000+ आवेदकों में से थे जिन्होंने ऑनलाइन फ़ॉर्म भरकर ऐसी इच्छा व्यक्त की थी। आगामी सत्रों में भी यह परंपरा जारी रहेगी। यदि आपने फॉर्म भरा था तो जल्दी ही आपके पास भी बुलावा आएगा; और यदि नहीं भरा था किंतु भरना चाहते हैं तो कृपया इस लिंक पर जाकर फॉर्म भर सकते हैं : [ Ссылка ]
शुभकामनाओं सहित,
विकास दिव्यकीर्ति
इस वीडियो में आपकी सुविधा के लिए टाइम स्टैम्प दिया गया है, जिसके माध्यम से आप सीधे संबंधित टॉपिक्स को देख सकते हैं:
00:00 पृष्ठभूमि (Introduction)
2:47 दर्शन सीरीज़ का उद्देश्य
5:20 जैन दर्शन को कैसे समझें?
15:23 जैन दर्शन का वर्गीकरण
19:14 तत्वमीमांसा (Metaphysics) क्या है?
30:34 अनेकांतवाद
40:54 दुनिया में क्या-क्या अस्तित्व में है?
44:14 आत्मा क्या है?
01:05:26 आत्मा के प्रकार
01:10:36 संसार/जगत कैसे बना?
01:16:11 ईश्वर/तीर्थंकर
01:23:45 जैन ज्ञानमीमांसा
01:27:05 ज्ञान के प्रकार
01:41:43 स्यादवाद
01:51:35 संदेहवाद
01:57:39 अज्ञेयवाद
02:09:36 सप्तभंगीनय
02:16:57 स्यादवाद का महत्त्व
02:20:13 स्यादवाद और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का संबंध
02:25:45 जैन नीतिमीमांसा
02:27:23 बंधन क्या है?
02:31:46 मोक्ष/कैवल्य
02:40:00 जैन दर्शन की प्रासंगिकता
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