हिन्दू धर्म में त्योहारों का बड़ा महत्व है | उसमे भी सावन का महीना मस्ती, प्रेम और उत्साह का महीना माना जाता है। इस महीने में महिलाओं का सौंधा-सा पर्व सातुड़ी तीज रक्षाबंधन के तीसरे दिन के बाद आता है। वास्तव में इस मौसम में तीज व्रत मनाने का अवसर तीन बार आता है। हरियाली तीज, सातुड़ी तीज व हरतालिका तीज जिसे हर प्रान्त के लोग अपने अपने तरीके से इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते है। सातुड़ी तीज को कजली तीज, बड़ी तीज और बूढ़ी तीज भी कहते है।
बड़ी तीज पर नीमड़ी माता की कहानी, तीज माता की कहानी, गणेश जी की कहानी और अंत में लप्सी तापसी की कहानी कहते है, जिससे कथा और व्रत का फल हमको मिल जाये | इसके अलावा तीज के अगले दिन कुछ भी खाने से पहले नीमड़ी पासते है और नीमड़ी माता की कहानी कहते है |
१. नीमड़ी माता की कहानी Nimdi ki Kahani
२. तीज माता की कहानी Teej Mata ki Kahani
३. गणेश जी की कहानी Ganesh Ji Ki kahnai
4. लपसी तपसी की कहानी Lapsi Tapsi ki kahani
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