Welcome to Susta Mela 😊 Famous mela .Susta Mela mohammadpur susta #shorts #bhojpuri #happynewyear2025#viral
L #sustamelahttp://youtube.com/post/UgkxaDhLitAQlOOjbNF9jXd_MTIkRnShLPPM?si=Aqxx0cgWC-3uTZPW
this fair establish from vivah panchmi to makar sankranti . here a huge fair occur on 1st january and many people come here to visit this fair
The village of Mohammadpur Susta in Sakra, Muzaffarpur, Bihar, has a rich history, and the Susta Mela has been an integral part of it. Here's a brief history:
*Ancient Roots*
- The region was inhabited by indigenous Santhal tribes, who celebrated seasonal festivals to honor nature and ancestors.
- The Susta Mela likely originated as a harvest festival, coinciding with the agricultural cycle.
*Medieval Period (1200-1750 CE)*
- The region was ruled by various dynasties, including the Karnata and Oinwar kingdoms.
- Susta Mela continued as a local festival, blending Santhal traditions with Hindu and Islamic influences.
*British Colonial Era (1757-1947 CE)*
- Muzaffarpur district was established in 1875, and Sakra became a subdivision.
- Mohammadpur Susta village was likely settled during this period, with the Susta Mela becoming a significant local event.
- The British documented the festival in their administrative records, recognizing its cultural importance.
*Post-Independence (1947 CE-present)*
- India gained independence, and Bihar became a state in 1950.
- Susta Mela continued to grow, attracting visitors from surrounding districts.
- Local administration and community leaders took initiatives to preserve and promote the festival.
*Modern Developments*
- In 2011, the Bihar government recognized Susta Mela as a state-level festival.
- Efforts have been made to showcase the festival's cultural significance, traditional crafts, and local cuisine.
- The festival now attracts tourists, researchers, and cultural enthusiasts.
*Historical Significance*
- Susta Mela represents the blending of Santhal, Hindu, and Islamic cultures.
- The festival showcases the region's agricultural heritage and community bonding.
- It highlights the importance of preserving traditional knowledge, customs, and practices.
*Key Dates*
- 1875: Muzaffarpur district established.
- 1950: Bihar becomes a state.
- 2011: Susta Mela recognized as a state-level festival.
*Sources*
- District Gazetteers, Muzaffarpur (1875).
- Bihar State Archives.
- Local oral traditions and community accounts.
मोहम्मदपुर सुस्ता, सकरा, मुजफ्फरपुर, बिहार में सुस्ता मेले का इतिहास:
प्राचीन काल:
सुस्ता मेला संतरी जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है।
यह त्योहार फसल कटाई के मौसम में मनाया जाता था।
इस त्योहार में संतरी जनजाति की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन होता है।
मध्ययुगीन काल (1200-1750 ईस्वी):
इस क्षेत्र में विभिन्न राजवंशों ने शासन किया, जिनमें कर्नाट और ओइनवर राजवंश प्रमुख थे।
सुस्ता मेला स्थानीय स्तर पर मनाया जाने वाला त्योहार बना हुआ था।
इस त्योहार में संतरी जनजाति की परंपराएं और हिंदू-मुस्लिम संस्कृति का मेल होता था।
ब्रिटिश शासन काल (1757-1947 ईस्वी):
मुजफ्फरपुर जिला 1875 में अस्तित्व में आया।
सकरा उपखंड के अंतर्गत मोहम्मदपुर सुस्ता गांव की स्थापना हुई।
सुस्ता मेला जिले के प्रमुख त्योहारों में से एक बन गया।
ब्रिटिश प्रशासन ने इस त्योहार को अपने अभिलेखों में दर्ज किया।
स्वतंत्रता के बाद (1947 ईस्वी से वर्तमान):
भारत की स्वतंत्रता के बाद बिहार राज्य का गठन हुआ।
सुस्ता मेला जिले के प्रमुख त्योहारों में से एक बना हुआ है।
स्थानीय प्रशासन और समुदाय के नेताओं ने इस त्योहार को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य किया।
आधुनिक युग:
2011 में बिहार सरकार ने सुस्ता मेले को राज्य स्तरीय त्योहार के रूप में मान्यता दी।
इस त्योहार को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है।
यह त्योहार पर्यटकों, शोधकर्ताओं और संस्कृति प्रेमियों को आकर्षित करता है।
महत्व:
सुस्ता मेला संतरी जनजाति की संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है।
यह त्योहार क्षेत्र की कृषि विरासत और समुदाय के बंधन को दर्शाता है।
यह त्योहार पारंपरिक ज्ञान, रीति-रिवाजों और प्रथाओं के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ:
1875: मुजफ्फरपुर जिले की स्थापना।
1950: बिहार राज्य का गठन।
2011: सुस्ता मेले को राज्य स्तरीय त्योहार के रूप में मान्यता।
स्रोत:
मुजफ्फरपुर जिले के जिला गजेटियर (1875)।
बिहार राज्य अभिलेखागार।
स्थानीय मौखिक परंपराएं और समुदाय के ब्यौरे।
Ещё видео!