बुध की महादशा में राहु की अंतरदशा | Budh Ki Mahadasha Me Rahu Ki Antardasha | #DSRathoreCreation
बुध की महादशा में राहु की अंतरदशा का फल
बुध की महादशा में राहु की अंतर्दशा 2 वर्ष, 6 महीने एवं 18 दिन की होती है।
यदि राहु उच्च, मित्र व स्वराशि में हो, शुभ ग्रहों द्वारा युत व दृष्ट हो एवं बुध भी शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो एवं उच्च, मित्र या स्वराशि में स्थितहो तो बुध की महादशा में जातक को रूचि व सफलता प्राप्त होती है। जातक का अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मेल मिलाप बढ़ता है। जातक को उद्योग एवं व्यापार की वृद्धि तथा नौकरी में उन्नति मिलती है। लाटरी, सट्टे, रेस से जातक को अनायास धन प्राप्त होता है। जातक दूसरों से बहुत अधिक सम्मान प्राप्त करते हैं। राहु यदि 3, 6, व 11वें भाव में है तो सरकार से उच्च लाभ की कामना कर सकते हैं। बार-बार लाभ होता है। उच्चाधिकारियों की कृपा विशेष रूप से मिलती है। चुनाव व राजनीतिक कार्यों में विजय मिलती है। आर्थिक वृद्धि तो होती है, किंतु खर्च भी बहुत होता है। इस दौरान धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ जाती है।
यदि बुध अशुभ प्रभावयुक्त हो एवं राहु नीच राशि में हो एवं पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो बुध की महादशा व राहु की अंतर्दशा में जातक असफल रहता है। पत्नी, संतान एवं इष्ट-मित्रों से व्यर्थ कलह एवं इनके द्वारा चित्त को परिताप पहुँचाता है। पद वृद्धि में अनावश्यक विलंब, अधिकारी वर्ग की अप्रसन्नता, कार्य-व्यवसाय में शिथिलता एवं हानि होती है। जातक को वात संबंधी कष्ट होते हैं। मन में भय और भ्रम का अनुभव करता है। व्यक्ति करियर के साथ-साथ जीवन साथी के मामले में कई मुद्दों का सामना करता है। दांपत्य जीवन में ग़लतफहमी बनी रहती है। यह अवधि कड़ी मेहनत और तनाव में वृद्धि से चिह्नित है। जातक उदास और असंतुष्ट महसूस करता है। सफलता की राह में कई अड़चनें आ सकती हैं । मस्तक, नेत्र तथा उदर में पीड़ा हो अपना क्षय हो अर्थात् रोग के कारण जातक का शरीर कमजोर होता चला जाय या जातक के धन का नाश हो। अग्नि, विष और जल से भय हो, जातक की मान हानि हो या जिस पद पर वह कायम हो उस पद से हटाया जाय। कुछ जातक को आरंभ में कष्ट देकर बाद में सुखी करता है। किसी को अधिकतम मेहनत के पश्चात भी थोड़ा-सा फल देता है। लग्न से 8 वें या 12 वें भाव में राहू है तो कष्टों की शुरुआत समझें। धन संपदा के जाने का समय आ गया मानें। सुख सुविधाएं छिन सकती हैं। मित्र भी शत्रु हो जाते हैं। व्यापार/नौकरी चौपट हो सकती है।
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यह वीडियो ज्योतिष के मूल सिद्धांतों पर आधारित है । वेदों में ज्योतिष शास्त्र के बारे में उल्लेख मिलता है । इस वीडियो में कही गई सारी बातें किसी न किसी ज्योतिष की पुस्तक, लेख व अन्य स्रोतों के माध्यम से ली गई है । यूट्यूब क्रिएटर इस वीडियो में कहे गए किसी भी दावे के लिये न ही जवाबदेही है और न ही उत्तरदायी । वीडियो का उद्देश्य लोगों को ज्योतिष शास्त्र व वेदों के प्रति जागरूक करना है, ताकि इस अनुपम धरोहर को सहज कर रखा जा सके । ज्योतिष शास्त्र वसुधेव कुटुम्बकम व सर्व जन हिताय के सिद्धांत पर काम करता है । यूट्यूब क्रिएटर का भी असली उद्देश्य सर्वजन हिताय व वसुधेव कुटुम्बकम ही है । हर प्राणियों में आपस में प्रेम, सौहार्दय व एकता बनी रहे । जीव मात्र का कल्याण हो, इसी भावना के साथ इस वीडियो को पब्लिश किया गया है ।
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