This poem forms the integral part of prayers offered by most of the Indian schools to inculcate patriotism among the students and teachers.
Composed by-Sumitranandan Pant
जय जन भारत जन मन अभिमत
जय जन भारत जन मन अभिमत
जन गण तंत्र विधाता
जय गण तंत्र विधाता
गौरव भाल हिमालय उज्ज्वल
हृदय हार गंगा जल
कटि विंध्याचल सिंधु चरण तल
महिमा शाश्वत गाता
जय जन भारत...
हरे खेत लहरें नद-निर्झर
जीवन शोभा उर्वर
विश्व कर्मरत कोटि बाहुकर
अगणित पग ध्रुव पथ पर
जय जन भारत...
प्रथम सभ्यता ज्ञाता
साम ध्वनित गुण गाता
जय नव मानवता निर्माता
सत्य अहिंसा दाता
जय हे जय हे जय हे
शांति अधिष्ठाता
जय-जन भारत...
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