धीरज कुमार Biography | हिंदी और पंजाबी फिल्मों के अभिनेता
Famous फिल्म और TV personality अभिनेता निर्माता निर्देशक धीरज कुमार जिन्होंने हिंदी और पंजाबी दोनों ही फिल्मों में अभिनय किया उन्होंने 1986 में टेलिविजन प्रोडक्शन हाउस क्रिएटिव आई की शुरुआत की और टेलीविजन की दुनिया में क्रांति ला दी
आइए डालते हैं एक नजर धीरज कुमार के जीवन और उनके फिल्मी करियर पर
धीरज कुमार का जन्म विभाजित भारत में पंजाब के शहर लाहौर में 1 अक्टूबर 1944 को श्री भगवानदास कोचर के घर और माता लीलावती कोचर की कोख से हुआ पिता ने अपने बेटे का नाम पुरुषोत्तम रखा 1947 में विभाजन के बाद इनका परिवार दिल्ली आकर बस गया पुरुषोत्तम ने दिल्ली में अपनी पढ़ाई के दौरान स्टेज पर अपनी कला का जौहर दिखाया अपने कॉलेज का पहला साल पूरा करते ही इनका फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट आफ इंडिया पुणे में एडमिशन हो गया
1965 में फिल्मफेयर द्वारा आयोजित एक टैलेंट शो में धीरज कुमार, सुभाष गई और राजेश खन्ना के साथ अंतिम फाइनलिस्ट में शामिल थे लेकिन राजेश खन्ना अंतिम विजेता बने इससे धीरज कुमार को फिल्मों में खुद को लांच करने में काफी मदद की और साथ ही विक्स एक्शन 500 के विज्ञापनों सहित अन्य विज्ञापनों में एक मॉडल के रूप में अभिनय किया
इसके बाद धीरज कुमार ने बॉलीवुड में एंट्री ली और मां-बाप का लाडला पुरुषोत्तम बॉलीवुड की चकाचौंध में आकर धीरज कुमार बन गया और साल 1970 में फिल्म "रातों का राजा" से as a हीरो अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की
सुपरहिट फिल्मों "बहरूपिया" "हीरा पन्ना" "रोटी कपड़ा और मकान" "शराफत छोड़ दी मैंने" "कर्म योगी" "सरगम" "क्रांति" "श्रीमान श्रीमती" "पुराना मंदिर" और "बेपनाह" जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों की वाहवाही लूटी
इनकी फिल्म "स्वामी" को 8 अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड मिले
प्रड्यूसर इंदरजीत हसनपुरी ने 1976 में अपनी फिल्म "दाज" से धीरज कुमार को पंजाबी फिल्मों में लांच किया फिल्म जबरदस्त हिट रही और यहां से धीरज कुमार पंजाबियों के दिलों की धड़कन बन गए
इसके बाद शेर पुत्र, सेठी मुराद, गोरी दी झंझरा, चोर नू मोर , रांझा एक ते हीरा दो , और जुगनी जैसी हिट फिल्मों से धीरज कुमार का नाम घर घर तक पहुंच गया
1976 से 1984 तक उन्होंने as a हीरो 21 से अधिक पंजाबी फिल्मों में अभिनय किया और दर्शकों के दिलों पर राज किया
पंजाब के काले दौर में पंजाबी फिल्में बन्नी कम हो गई इसके बाद धीरज कुमार ने टेलीविजन का रुख किया
1984 से इंडिया में टेलीविजन की शुरुआत हुई धीरज कुमार ने 1986 में टेलिविजन प्रोडक्शन हाउस क्रिएटिव आई की शुरुआत की और इसके अधीन टीवी सीरियलों का निर्माण और निर्देशन किया कीक्रिएटिव आई का पहला टीवी सीरियल था "कहां गए वो लोग" यह सिरियल देश के गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित था इसे दर्शकों ने खूब पसंद किया और वर्तमान राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह जी ने इसे बेस्ट सीरियल ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया
यहां से धीरज कुमार के टेलीविजन करियर की शुरुआत हुई इसके बाद इन्होंने "अदालत" "घर संसार" "कुछ भी हो सकता है" जैसे हिट टीवी सीरियल का निर्माण और निर्देशन किया
इसके बाद शिवभक्त धीरज कुमार ने 1996 में "ओम नमः शिवाय" सीरियल बनाया ओम नमः शिवाय सीरियल लगभग सभी प्रांतीय भाषाओं में और वर्ल्ड के 11- 12 देशों सबटाइटल के साथ प्रसारित हुआ यह सीरियल इतना पॉपुलर हुआ कि इसके बाद धीरज कुमार को पौराणिक सीरियल का किंग कहा जाने लगा इसके बाद क्रिएटिव आई लिमिटेड ने पौराणिक सीरियलों की बाढ़ सी ला दी
इसके बाद उन्होंने "श्री गणेश" "जब तब और व्रत" "ओम नमो नारायण" "जय संतोषी मां" "गणेश लीला" "सिंहासन बत्तीसी" "इश्क सुभान अल्लाह" जैसे अनेक टीवी सीरियल विभिन्न सैटेलाइट चैनलों के लिए बनाए और बाल 3D फिल्म "आबरा का डाबरा" का निर्माण किया जो की हिट रही इसके अलावा धीरज कुमार और क्रिएटिव आई लिमिटेड शार्ट फिल्मों और वेबसीरीज का भी निर्माण करती है धीरज कुमार ने अपनी मेहनत और लगन से वह मकाम हासिल किया जिसे बहुत कम लोग हासिल कर पाते हैं
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