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Sarvana Bhavan owner P Rajagopal died on Thursday morning after he suffered a heart attack. Rajagopal, also known as the dosa king, was put on a ventilator on Saturday night after he suffered a massive cardiac arrest. Rajagopal had surrendered in court on July 9 to serve his life imprisonment for the kidnap and murder of a man named Prince Shanthakumar, husband of a woman named Jeevajothi whom Rajagopal wanted to marry as his third wife. Rajagopal after being taken into custody by the Puzhal prison officials was admitted to the prison ward of the Stanley Medical College and Hospital, Chennai on the day of his surrender itself. Rajagopal had come to the court in a dramatic manner - in an ambulance with an oxygen mask attached to his face. Rajagopal’s counsel had even sought more time for his surrender stating his ill health. But this plea was rejected by the Madras High Court. His appeal against the Madras High Court order upholding the trial court's judgment convicting him was rejected by the apex court in March this year. Rajagopal was convicted in the kidnap and murder of Prince Santhakumar, husband of a lady named Jeevajothi whom Rajagopal intended to marry as his third wife. In October 2001, the daughter of a Saravana Bhavan employee and her husband were kidnapped. Jeevajothi was the daughter of an assistant manager at one of Saravana Bhavan's Chennai branches. Rajagopal wanted to marry Jeevajothi as an astrologer had told him to marry one Jeevajothi to become one of the richest in the country. Rajagopal then was already married with two wives. Despite Rajagopal's advances and threats, Jeevajothi went on to marry one Prince Santhakumar, a man she loved. In 2001, after the kidnapping, Jeevajothi's husband Santhakumar's body was found by the forest department officials from inside the Tiger Chola forests in Kodaikanal on October 31. His post-mortem report had said the cause of death was asphyxia due to throttling. Soon after, police found the cloth used for the murder. In 2004, a sessions court found Rajagopal guilty of the crime and sentenced him to 10 years of rigorous imprisonment. Rajagopal challenged the sessions court verdict in the Madras High Court but was given life imprisonment in 2009. Rajagopal once again appealed against the verdict in the Supreme court, which upheld the Madras High Court order in March 2019. Rajgopal was asked to surrender on July 7, but he appealed again, asking for more time owing to his ill health. This was rejected by the Supreme Court.सरवणा भवन के मालिक पी राजगोपाल का आज निधन हो गया. दिल का दौरा पड़ने के बाद पी राजगोपाल को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां आज यानी गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. बता दें, कर्मचारी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद राजगोपाल ने 9 जुलाई को कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था. इस दौरान वह एंबुलेंस से कोर्ट पहुंचे थे. आत्मसमर्पण के बाद 13 जुलाई को राजगोपाल को दिल का दौरा पड़ा था. पहले उन्हें स्टेनली अस्पताल के जेल वार्ड में भर्ती कराया गया था. लेकिन बाद में उन्हें फिर दिल का दौरा पड़ा और तब उनके बेटे सरवनन ने राजगोपाल को निजी अस्पताल में भर्ती करने की कोर्ट से अपील की थी. कोर्ट ने राजगोपाल को निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी. राजगोपाल को अपने कर्मचारी राजकुमार शंतकुमार के अपहरण और हत्या में दोषी ठहराया गया था. राजकुमार शंतकुमार, जीवनजोती नामक एक महिला का पति था. राजगोपाल, जीवनजोती से शादी करना चाहता था. इसके पीछे एक ज्योतिषी की भविष्यवाणी भी थी, जिसमें कहा गया था कि अगर राजगोपाल की जीवनजोती से शादी होती है तो वह देश के सबसे अमीर लोगों में से एक बन जाएंगे. शंतकुमार की हत्या के मामले में निचली अदालत ने राजगोपाल को 10 साल की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ राजगोपाल ने मद्रास हाई कोर्ट गए थे, जहां 10 साल की सजा को बढ़ाकर उम्रकैद में बदल दिया गया था. मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राजगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने शंतकुमार की हत्या के लिए राजगोपाल की सजा को बरकरार रखते हुए उसे 7 जुलाई को कोर्ट और स्थानीय पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश के बावजूद राजगोपाल समय पर पेश नहीं हुए और आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग के लिए याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद राजगोपाल ने 9 जुलाई को एम्बुलेंस में अदालत पहुंचकर आत्मसमर्पण किया था.
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आज वक़्त के जिस दौर में हम जी रहे हैं उसमें आने वाला पल किस शक्ल में हमारे सामने आएगा कोई नहीं जानता। हां....अगर हम कुछ कर सकते हैं तो सिर्फ़ इतना कि आने वाले पल के क़दमों की आहट को ज़रूर भांप सकते हैं। मगर आने वाले वक़्त की नीयत क्या है ये तभी जाना जा सकता है जब हम अपने आंख और कान खुले रखें। और इसमें CRIME TAK आपकी मदद करेगा। क्राइम की दुनिया की हर छोटी-बड़ी ख़बरों से आपको आगाह करके। ताकि आप सुरक्षित रहें।
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