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दांतों में कैविटी होने पर अगर आप शुरुआत में ही डॉक्टर के पास चले जाएं तो पहले अस्थायी फिलिंग की जाती है और उसके बाद स्थायी फिलिंग की जाती है। इससे उस दांत को बचाया जा सकता है और नौबत रूट कैनाल तक नहीं पहुंचती। पहले दांतों में पारा भरा जाता था, लेकिन अब नयी तकनीक के जरिये दांतों की सुंदरता बरकरार रखते हुए भी फिलिंग की जा सकती हैं। हर छह महीने में दांतों की जांच करवाएं। कुछ कैविटी ऊपर के दांतों में आपको नजर नहीं आती और एक विशेषज्ञ ही उसकी सही पड़ताल और इलाज कर सकता है।
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