श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - याचना अवस्थी
भक्तों नमस्कार,,, आप सभी का हमारे यात्रा कार्यक्रम दर्शन में हार्दिक अभिनन्दन... हम आपको अपने इस कार्यक्रम के माध्यम से बहुत से मंदिरों, धार्मिक व पौराणिक तीर्थ स्थलों की यात्रा करवाते आयें हैं... इन स्थलों की पवित्रता एवं पौराणिकता हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर का मूल रूप है.. इसी क्रम में आज हम आपको एक ऐसी सुप्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ नगरी की यात्रा पर ले जा रहे हैं जहाँ कभी महान सम्राट विक्रमादित्य का शासन रहा... जिसको भगवान् भोलेनाथ की अतिप्रिय नगरी अवन्ती अर्थात उज्जैन के नाम से जाना जाता है...पिता भोलेनाथ के महाकालेश्वर स्वरुप की इस उज्जैन नगरी से कुछ दूरी पर स्थित है “चिंतामण गणेश मंदिर” जहाँ विराजित हैं गौरीशंकर पुत्र - विग्नहर्ता एवं प्रथम पूजनीय भगवान् गणेश अपने तीन स्वरूपों में.
मंदिर के बारे में:
भक्तों, भगवान श्री गणेश के तीन स्वरूपों को समर्पित “चिंतामण गणेश मंदिर” मध्य प्रदेश राज्य की प्राचीन धार्मिक नगरी उज्जैन से करीब 6 किलोमीटर दूर फतेहाबाद रेलवे लाइन के समीप स्थित है.. इस मंदिर में भगवान श्री गणेश के तीन स्वरुप स्वयंभू रूप में एक साथ विराजमान है,जो चितांमण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के रूप में जाने जाते हैं.. माना जाता है ..स्वयं-भू स्थली के नाम से विख्यात चिंतामण गणपति की स्थापना भगवान श्री रामचन्द्र जी ने अपने वनवास काल के दौरान की थी.. भगवान् चिंतामण गणेश जी का यह स्थान इतना प्राचीन एवं पवित्र है की विग्न्हार्ता के तीनो स्वरूपों के एक ही स्थान पर दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से रोज़ हजारों श्रद्धालु यहाँ आते है।
मंदिर का निर्माण:
भक्तों चिंतामण गणेश मंदिर एक अत्यंत प्राचीन एवं सुप्रसिद्ध मंदिर है... इस मंदिर का निर्माण कब और किसने किया इसका कोई ठोस तथ्य तो उपलब्ध नहीं है पर कुछ जनश्रुतियों के अनुसार यह परमारकालीन मंदिर 9वीं से 13वीं शताब्दी का माना जाता है। परमार काल में भी इस मंदिर का जिर्णोद्धार हो चुका है। हांलाकि इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप महारानी अहिल्याबाई द्वारा करीब 250 वर्ष पूर्व बनवाया गया था।
मंदिर का गर्भग्रह:
चिंतामण गणेश मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले जैसे ही आप ऊपर देखेंगे तो चिंतामण गणेश जी का एक श्लोक लिखा हुआ दिखाई देता है..फिर.गर्भगृह में प्रवेश करते ही हमें गौरीसुत भगवान् गणेश जी की सिन्दूर एवं वर्क से सजी हुई तीन स्वरूपी एक अलौकिक स्वयंभू प्रतिमा के दर्शन होते हैं चिंतामण गणेश जी की ऐसी अद्भुद प्रतिमा शायद ही कहीं देखने को मिले..। इनके तीन स्वरूपों में चिंतामणी गणेश जी चिंताओं को दूर करते हैं, इच्छामणी गणेश जी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं और सिद्धिविनायक जी रिद्धि-सिद्धि के दाता हैं। दूर-दूर से भक्त अपने जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति पाने व अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए यहाँ विग्न्हार्ता के दरबार में खिंचे चले आते हैं। गणेश जी की प्रतिमा के पास ही उनके प्रिय मूषक की भी एक सुन्दर सी धातु की प्रतिमा है.. भगवान् गणेश के इन स्वरूपों का प्रतिदिन प्रातः सिंदूर और वर्क से श्रृंगार किया जाता है, पर्व एवं उत्सव के दौरान लम्बोदर गणेश का यह श्रंगार दिन में दो बार भी किया जाता है। श्रद्धालु यहीं भगवान् गणेश को नारियल, मोदक, फल फूल चढ़ाकर उनका दर्शन पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं...
चिंतामण गणेश जी का स्थापना:
मान्यतानुसार चिंतामण गणेश जी का प्राकट्य एक वट वृक्ष से हुआ और इनकी स्थापना भगवान् राम के वनवास के दौरान हुई.. इससे सम्बंधित कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं.
जिसमे एक मान्यता के अनुसार - जब भगवान श्रीराम ने सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ अवंतिका खंड के महाकाल वन में प्रवेश किया था तब अपनी यात्रा की निर्विघ्नता के लिए षट् विनायकों की स्थापना की थी। चिंतामण गणेश जी सीता जी द्वारा स्थापित षट् विनायकों में से एक हैं। एक अन्य मान्यता यह भी है कि राजा दशरथ के उज्जैन में पिण्डदान के दौरान भगवान श्री रामचन्द्र जी ने यहाँ आकर पूजा अर्चना की थी।
मंदिर परिसर:
चिंतामण गणेश जी के मंदिर प्रांगण में आपको भोग प्रसाद, नारियल, फूल माला की बहुत सी दुकाने मिलती हैं जहाँ से आप भगवान् गणेश को चढाने के लिए उनके मनपसंद भोग और फूल माला खरीद सकते हैं.. थोडा आगे बढ़ने पर भगवान् भोलेनाथ शिवलिंग रूप में विराजमान है भक्तगण इनका जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.. मंदिर के विशाल प्रांगण में प्रवेश करते ही बाएँ तरफ एक बावड़ी है तथा गर्भग्रह की ओर जाने के लिए स्त्री व पुरुष के लिए अलग अलग पंक्तिओं के रूप में जाने की व्यवस्था है मंदिर परिसर में एक पुराना वृक्ष भी है.. जिसमे श्रद्धालु पूजन के दौरान मौली बाँध देते हैं.. चिंतामण गणेश जी के इस मंदिर में रिद्धि सिद्धि जी की भी प्रतिमाएं हैं..
अन्य दर्शनीय स्थल:
आप चिंतामण गणेश जी के दर्शन के अतिरिक्त उज्जैन स्थित बाबा महाकालेश्वर मंदिर , हर सिद्धि मंदिर, राम घाट, श्रीराम जानकी मंदिर, कालभैरव मंदिर, बड़ा गणेश जी मंदिर ,संदिपनी आश्रम, गढ़कालिका मंदिर, इस्कॉन मंदिर, गोपाल मंदिर, श्री चौबीस खम्बा माता मंदिर, जंतर मंतर, गोमती कुंड, कालियादेह पैलेस, शनि मंदिर और मंगलनाथ मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। और अगर आप इंदौर स्थित श्री ओम्कारेश्वर - ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको उज्जैन से तीन घंटे दूर इंदौर का सफर तय करना होगा।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
#devotional #hinduism #chintamanganeshmandir #ganesh #temple #travel #vlogs #ujjain
Ещё видео!