Bach Baras Ki Kahani | बछ बारस की कहानी | आर्यावर्त की कहानियां
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भादवा का महीना आया। बछ बारस आई। इन्द्र की अप्सराएं मृत्यु लोक में गाय की पूजा करने आईं। आस पास देखी,कहीं भी बछड़े वाली गाय नहीं दिखी। जब वे दूसरी गाय की पूजा करने लगीं। आगे से पूजा करें तो सींग से मारे,पीछे से पूजा करें तो पाँव से मारे । जब अप्सराएं बोली, ए बाई हम लोग तुम्हारी पूजा कर रही हैं,तुम हम लोगों को पाँव से क्यों मार रही हो।' जब गाय बोली 'संडा गाय की क्या पूजा करती हो? आज गोरा और गाय दोनों की पूजा करते हैं।
जब इन्द्र की अप्सराओं ने दर्भ का बच्चा बनाकर गाय के पास खड़ा कर दिया और उसको जीवनदान दिया। वह गाय का दूध चुट-मट पीने लगा। इन्द्र की अप्सराओं ने आनंद के साथ गाय की पूजा की। पूजा के पश्चात् गाय बछड़े को लेकर घर गई । गाय की धिराणी बछड़े को देखकर बोली,तुम तो तुम्हारे बछड़े को लेकर आ गई, मेरे भी बच्चा नहीं है, इसलिये मैं तुम्हें घर में नहीं आने दूंगी। जब गाय बोली,अभी तो मुझे घर में ले लो। अगली बछ बारस को मैं तुम्हें भी बच्चा ला दूँगी ।
एक वर्ष पूर हुआ,अगली बछ बारस आई। गाय वन में गई,इन्द्र की अप्सराएं पूजा करने आई,तब गाय पूजा करने नहीं देवे,आगे से पूजा करे तो सींग मारे,पीछे से पूजा करे तो पाँव से मारे । जब अप्सराएं कहने लगी ‘ऐसे क्यों कर रही हो? पिछली बार तुम्हारे बच्चा नहीं था तब बच्चा दिया,अब क्या चाहिये तुम्हें ?' जब गाय बोली,मेरी मालकिन के बच्चा नहीं है,वह मुझे घर में नहीं लेती है उसको बच्चा देंगे,तब पूजा करने दूंगी।
नमस्कार दोस्तों 🙏🙏
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