आदर्श क्रांतिकारी के तौर पर चर्चित भगत सिंह हिंसा के रास्ते पर चलकर आज़ादी पाने के समर्थक थे. 1907 में उनका जन्म हुआ जब 38 साल के लोकसेवक मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ़्रीका में अहिंसक तरीके से संघर्ष करने का प्रयोग कर रहे थे. सत्याग्रह के अनुभव के साथ गांधी साल 1915 में भारत आए और देखते ही देखते वह भारत के राजनीतिक पटल पर छा गए.
वहीं, जवान हो रहे भगत सिंह ने हिंसक क्रांति का रास्ता अपनाया. लेकिन इन दोनों के बीच कई चीजें समान थीं जिनमें देश के सामान्य गरीबों के हितों को अहमियत देना शामिल था. आज़ादी का उनका ख्याल सिर्फ राजनीतिक नहीं था. दोनों चाहते थे कि देश की जनता शोषण की बेड़ियों से मुक्त हो और इसी दिशा में उनके प्रयास रहे. दोनों में एक चीज विरोधाभासी थी, लेकिन इसके बावजूद दोनों में कुछ समानताएं भी थीं. भगत सिंह नास्तिक थे और गांधी जी परम आस्तिक थे. लेकिन धर्म के नाम पर फैलाई जाने वाली नफ़रत के दोनों ही विरोधी थे.
स्टोरी: उर्वीश कोठारी, बीबीसी गुजराती सेवा के लिए
तस्वीरें: गेटी इमेज़स, रायटर्स, ईपीए, बीबीसी
Ещё видео!