महाभारत के इन सबूतों को देख वैज्ञानिकों के होश उड़े । Real proof of Mahabharata । Mahabharat reality
धरती फाड़कर निकल रहें हैं , महाभारत काल के यह 11 जिंदा सबूत । जमीन में मिल गयी है , पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ । खुदायी में मिल रहे हैं , तलवार , भाले , धनुष - वाण और परमाणु बम के निशान । मिल रहे हैं महाभारत काल में प्रयोग हुये फाइटर जेट और पनडुब्बियां । आज भी जंगलों में देखें जाते हैं , महाभारत काल के यह 7 जिंदा लोग । फिर भी बहुत सारे लोगों को लगता है की महाभारत एक मनगणित कहानी है और कुछ लोग तो महाभारत की घटनाओं और जगहों को काल्पनिक मानते हैं , और इसका मजाक भी उड़ाते हैं । लेकिन हम आपके लिये लाये हैं महाभारत के 11 ऐसे जिंदा सबुत , जो चींख - चींख कर गवाही दे रहे हैं की , महाभारत केवल एक किताब नहीं है । बल्कि पूरी की पूरी सच्ची घटना है । यदि आप इन सबूतों को पूरे वैज्ञानिक तथ्यों के साथ जानना चाहते हैं तो प्लीज चैनल को सब्सक्राइब करके साथ में घंटी वाला वेल आइकन जरुर दबा दें , तभी आपको न्यू विडियो का नाटिफिकेशन मिल पायेगा । और सच्चे सनातनी एक बार कोमेंट सेक्शन में जय सनातन धर्म जरुर लिख देना , ताकि महाभारत को कल्पना समझने वालों का मुंह बंद हो सके । और विडियो को अभी से लाइक करदें , क्योंकी बाद में आप विडियो की भावना में खो जायेंगें । तो चलिये दोस्तों , बिना टाइम को बेस्ट किये विडियो को स्टार्ट करते हैं ।
1.कुरुक्षेत्र - यह तो सभी जानते हैं कि महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ था। कुरुक्षेत्र हरियाणा में स्थित है। कुरुक्षेत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा महाभारत काल के कई अवशेष प्राप्त हुए हैं जिनमें बाण और भाले प्रमुख हैं। कुरुक्षेत्र की भूमि पर कई महान योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे। कुरुक्षेत्र ही वह स्थान है जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मोहभंग करने के लिए उसे ‘गीता’ का ज्ञान दिया था। कुरुक्षेत्र में प्राचीन कुआं आज भी देखा जा सकता है। माना जाता है कि इसी जगह पर महाभारत युद्ध में कर्ण ने चक्रव्यूह की रचना करके अभिमन्यु को धोखे से मारा था। जिससे वह वीरगति को प्राप्त हुआ था।
2.लाक्षाग्रह - शकुनी की नीति के तहत दुर्योधन ने पांडवों के रुकने के लिए एक ऐसा महल बनवाया था, जो लाख से बना हुआ था , जिसे बाद में लाक्षागृह कहा गया। यह लाख तेजी से अग्नि पकड़ता है। दुर्योधन ने पांडवों को मारने की साजिश रची थी। इस महल में रात में चुपचाप से आग लगा दी गई थी ताकि सोते हुए पांडवों की इस महल में ही जलकर मृत्यु हो जाए। किन्तु पांडवों के जासूसों ने उन्हें इस योजना की सूचना पहले ही दे दी थी । और वे रात को ही एक गुप्त सुरंग से निकल भाग निकले थे। ये सुरंग आज भी मौजूद है, जो गाजियाबाद में हिंडन नदी के किनारे पर खुलती है। लाख से बने महल के अवशेष आज भी बरनावा में पाए जाते हैं। यह बरनावा या वारणावत नामक स्थान मेरठ जिले में स्थित है। मेरठ से 35 और सरधना से 17 किलोमीटर दूर बागपत जिले में स्थित एक तहसील का नाम वारणावत है। यहां महाभारत कालीन लाक्षाग्रह चिन्हित है। इसके अवशेष आज भी यहां एक टीले के रूप में मौजूद हैं। लाक्षागृह से निकलने पर भटकते हुए पांडव वर्तमान नागालैंड में पहुंच गए थे। वहां पर राक्षसी हिडिंबा के साथ भीम का विवाह हुआ था तत्पश्चात उनका घटोत्कच नामक पुत्र हुआ। जोकि भीम के समान ही बलशाली था। भीम अपने पुत्र के साथ जिन गोटियों से शतरंज खेला करते थे। वह आज भी नागालैंड के दमिपुर में देखी जा सकती हैं।
3. गंधमादन पर्वत - जहां भीम नहीं उठा पाए थे हनुमानजी की पूंछ। सभी को यह घटना तो मालूम ही होगी कि बलशाली भीम हनुमानजी की पूंछ नहीं उठा पाए थे। कुछ विद्वान मानते हैं कि यह घटना गंधमादन पर्वत पर घटी थी। हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित गंधमादन पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है। इस क्षेत्र में तीन रास्तों से जा सकते हैं। पहला नेपाल के रास्ते मानसरोवर से आगे और दूसरा भूटान की पहाड़ियों से आगे और तीसरा अरुणाचल के रास्ते चीन होते हुए। संभवत महाभारत काल में अर्जुन ने असम के एक तीर्थ में जब हनुमानजी से भेंट की थी, तो हनुमानजी भूटान या अरुणाचल के रास्ते ही असम तीर्थ में आए होंगे। हालांकि कुछ विद्वानों के अनुसार उत्तराखंड में जोशीमठ से लगभग 25 किमी दूर हनुमान चट्टी है। यहां भीम और हनुमानजी की भेंट हुई थी और हनुमानजी ने भीम को महाभारत युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद दिया था ।
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