जीने के हैं चार दिन, बाकी हैं बेकार दिन।
वैसे आप इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं होंगे कि जवानी के चार दिन ही काम के हैं बाकी बेकार हैं। लेकिन हां यह जरूर है कि जब हम युवा होते हैं तो एक अलग ही एनर्जी और उत्साह हमारे अंदर होता है। हम कुछ नया करना चाहते हैं, बहुत कुछ सीखना चाहते हैं, और नई-नई चीजों के बारे में जानना चाहते हैं।
हालांकि हर पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी को ज्यादा फास्ट, डिफोकस्ड और गैरजिम्मेदार मानती है, लेकिन आज का युवा कुछ अलग है। आज का यूथ बहुत सेंसिटिव हैं, वह पुराने ढर्रों को तोड़ रहे हैं और समाज में हर वर्ग और इंसान को एक प्लेटफार्म पर देखना पसंद करते हैं।
प्रेम रावत जी भी अपने पीस एजुकेशन प्रोग्राम के जरिए दुनिया भर में यूथ को इन्सपायर कर रहे हैं। यूथ जब पीस को भी अपनी ताकत की तरह पहचानने लगे तो बहुत कुछ अचीव कर सकता है।
Prem Rawat is a renowned author and international speaker. He has been presenting his message of humanity and peace across the world for more than five decades. His message has helped millions of people all over the globe to get better understanding and clarity about the very basic need of life.
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