यह एक प्रकार की कविता शैली है जिसमें रंगकाट कर रागनी गाई जाती है ।
इसमें वीर विक्रमाजीत और खाण्डेराव परी के दो प्रसंगों को कविता के माध्यम से बताया गया है।
पहली रागनी रमेश कलावड़िया ने गई है जिसमें खाण्डेराव परी और वीर विक्रमाजीत की पहली मुलकात को बताया जिसमें खाण्डेराव परी, विक्रमाजीत को उसकी ओर देखने पर धमकाती है,
दूसरी रागनी आजाद खांडा खेड़ी जी ने गाई है जिसमें वीर विक्रमाजीत, खाण्डेराव परी से शादी के बाद काम ना करने पर तंज कसता है।
तो दोस्तों दोंनो सुनिए और आनंद लिजिए ॥
धन्यवाद
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