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#RadioNatak जेबकतरा –
सआदत हसन मंटो किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं | मंटो एक लम्बे अरसे तक आकाशवाणी में काम करते रहे और कई रेडियो नाटक भी लिखे | मंटो उन पहले लेखकों में से थे जिन्होंने शुरूआती समय में रेडियो नाटकों को संजोया, संवारा और निखारा | आकाशवाणी द्वारा सआदत हसन मंटों की लिखी कहानियों पर तैयार नाटक अब भी प्रसारित होते रहे हैं | मंटों के नाटकों और कहानियों में समाज के हाशिये पर सिमटे हुए लोगों, उनकी मजबूरियों , उनके दुःख-दर्द की ईमानदार आकृति उभरती ही है और उनके बीच से जो गूँज निकलती है, वह मानव की जिजीविषा को पूरे रूप-रंग के साथ सामने ला खड़ा करती है | मंटो के नाटक और उनकी कहानियां जीने और मरने की कला सीखाती हैं और इनके बीच मुस्कुराने की वज़ह बताती हैं -कभी हौले से, कभी चमक कर | इंसान को हर अग्नि-परीक्षा में से गुजरते हुए कैसे कुंदन बनकर निकलना है – इसका मंत्र बताती हैं मंटो की कहानियां और नाटक | मंटो ने जो कुछ भी लिखा, जितना भी लिखा, वास्तविकता के बहुत क़रीब होकर लिखा। मंटो ने सच्चाई से कभी गुरेज़ नहीं किया। ‘जेबकतरा’ नाटक में भी मंटो की ‘मंटोनियत’ ज़िन्दा है | हालांकि, ‘जेबकतरा’ नाटक एक साधारण सी रोमांटिक कॉमेडी है जिसमें एक लड़के और लड़की की अप्रत्याशित और असामान्य परिस्थितियों में मुलाक़ात होती है और उनमें प्यार हो जाता है | लेकिन नाटक है तो कई मोड़ भी होंगे , कई पेंच भी होंगे | दावा है,इस नाटक को सुनने के बाद किसी जेबकतरे के बारे में आपके ख्यालात ज़रूर थोड़े बदल जाएंगे |
Story :Saadat Hasan Manto
Director : Dina Nath
Assistance :K.K.Narula, Sudarshan Kumar
Artists :Shiv Shankar Sharma, Shyam Arora, P.P.Pandit, T.K.Sharma, Sudha Shivpuri
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