प्रणाम! आप सभी को तिलक की ओर से आदिशक्ति माँ दुर्गा के उपासना पर्व, शरद नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ |
शरद नवरात्रि, स्त्री के आदर, सम्मान और शक्ति का ऐसा का एक ऐसा उत्सव है, जिसे हमारे देश में लगातार 9 दिन तक धूमधाम से मनाया जाता है| दुष्ट रावण के विनाश से पहले भगवान राम ने जिस शक्ति की अराधना करके बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दिया था, 9 दिन के इस उत्सव में, हर दिन एक अलग रंग एक अलग सोभाग्य का प्रतीक बनता है| आज अपने कार्यक्रम भारत उत्सव में हम बात करेंगे, आश्विन मास के शरद ऋतु में आरंभ होने वाले, जीवन की खुशहाली और देवी दुर्गा की कृपा के प्रमुख त्योहार शारदीय नवरात्रि की|
शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. इस वर्ष शरद नवरात्रि का पर्व 26 सितंबर से 5 अक्टूबर तक पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है।
शरद नवरात्रि के पर्व से जुड़ी एक कथा:
राक्षसों के राजा महिसासुर ने भगवान शिव की ऐसी उपासना की, कि भगवान शिव ने उसे अमरता का वरदान दे डाला. इस वरदान का दुरुपयोग करते हुए महिसासुर ने सूर्य, वरुण, इन्द्र, अग्नि, वायु, चंद्रमा, यम और अन्य सभी देवताओं के सारे अधिकार छीन लिए. वो निरपराध और निर्दोष लोगों को सताने और मारने लगा देवलोक में चिंता और घबराहट होने लगी तब ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी सम्मिलित ऊर्जा से एक देवीय शक्ति का निर्माण किया. इस शक्ति को ही दुर्गा कहते हैं| ब्रह्मा ने अपना कमंडल, विष्णु ने अपना चक्र और शिव ने अपना त्रिशूल दुर्गा को दिया. महिसासुर ने जब इस शक्ति को देखा, वो उन पर मोहित हो गया. शक्ति ने महिसासुर से कहा “अगर तुम मुझे युद्ध में पराजित कर दोगे, तो मैं तुमसे विवाह कर लूँगी, शक्ति और महिसासुर का युद्ध पूरे 9 दिन तक चला. नवें दिन शक्ति ने महिसासुर का सिर धड़ से अलग कर दिया और वह शक्ति फिर महिसासुर मर्दिनी कहलायी..
देवी के 9 स्वरूपों और 9 दिन के पूजा का विवरण:
नवरात्रि के इस पर्व का पहला दिन, माँ शेल पुत्री को समर्पित है| माँ शेल पुत्री चंद्रमा को दर्शाती है. मान्यता है कि इनकी पूजा से चंद्रमा संबंधित सभी दोष समाप्त हो जाते हैं. इस प्रतिपदा का रंग पीला है.
नवरात्रि का दूसरा दिन, माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के नाम है| ज्योतिष मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती है, देवी ब्रह्मचारिणी की अर्चना से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं. इस द्वितीया का रंग हरा है.
नवरात्रि का तीसरा दिन, माँ चंद्र घंटा की पूजा को अर्पित है देवी चंद्र घंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती है. इनकी अर्चना से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं. इस तृतीया का रंग भूरा है|
इस पर्व का चोंथा दिन माँ कृषमांडा को अर्पित किया गया है. माँ कृषमांडा सूर्य का मार्ग दर्शन करती है. और इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है.इस चतुर्थी का रंग है नारंगी|
नवरात्र का पाँचवां दिन, माँ स्कन्दमाता के नाम है. माँ स्कन्दमाता बुद्ध ग्रह को नियंत्रित करती है. स्कन्द माता की पूजा से बुद्ध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं. इस पंचमी का रंग सफेद है|
नवरात्र का छटा दिन माँ कात्यायनी देवी को समर्पित है. माँ कात्यायनी देवी ब्रहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं. और इनकी पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं.नवरात्र के छटे दिन का रंग लाल है|
नवरात्र का सातवाँ दिन देवी कालरात्रि की अर्चना के नाम है. माँ कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती है. इनकी पूजा से शनि के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है. इस सप्तमी का रंग नीला है|
नवरात्रि का आठवाँ दिन माँ महागौरी को समर्पित है. माँ महागौरी राहू ग्रह को नियंत्रित करती हैं. इनकी पूजा से राहू के बुरे प्रभाव कम होते हैं. इस अष्टमी का रंग गुलाबी है|
नवरात्रि का नोवां दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है. माँ सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं. इनकी पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं और इस नवमी का रंग है बेंगनी|
Written, Created & Presented by Tarun Rathi
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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