भक्तों नमस्कार! प्रणाम और हार्दिक अभिनन्दन! भक्तों आज हम अपने यात्रा कार्यक्रम में आपको गायत्री शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध मंदिर की यात्रा करवाने जा रहे हैं। ये मंदिर पूर्णतः वेदमाता गायत्री को समर्पित है। यहाँ व्यक्ति के गर्भाधान से लेकर अंत्येष्टि तक वैदिक जीवन से सम्बद्ध सभी संस्कारों का प्रतिपादन किया जाता है।
मंदिर के बारे में:
भक्तों गायत्री शक्तिपीठ मंदिर गुजरात राज्य के वड़ोदरा नगर के कायावरोहण क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर न केवल युग परिवर्तन के प्रणेता और अंतर्राष्ट्रीय गायत्री शक्तिपीठ के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की संस्था का हिस्सा है अपितु उनके विचारों, सिद्धांतों और नियमों का मुखर प्रवाहक भी है। इस मंदिर में वैदिक जीवन पद्धति, गायत्री उपासना, ध्यान, योग और त्रिकाल सन्ध्या की शिक्षा दीक्षा दी जाती है।
मंदिर की भूमि महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि:
भक्तों वड़ोदरा कायावरोहण गायत्री शक्तिपीठ मंदिर जिस भूमि पर स्थापित है, वह भूमि महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि है। बताया जाता है कि इस शक्ति पीठ हेतु भूमि शोधन का कार्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के दिशा निर्देशन में चल रहा था वो स्वयं इस कार्य में सम्मिलित थे। उन्होंने अपने तपोबल से इस भूमि को गायत्री मन्त्र के जनक महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि के रूप में चिन्हित करते हुए यहीं गायत्री मंदिर बनाने का निर्णय किया गया।
जब पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य अचानक प्रकट हो गए:
भक्तों वड़ोदरा कायावरोहण गायत्री शक्तिपीठ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के समय पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य शांतिकुंज हरिद्वार में मौन थे। अतः उन्होंने कायावरोहण गायत्री शक्तिपीठ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में उपस्थित होने में अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए पत्र भेजा। किन्तु उस पुनीत अवसर पर पंडित जी की अनुपस्थिति उनके शिष्यों के लिए असह्य दुःख का कारण बन गयी। सबके मन में यही भाव था कि “ कितना अच्छा होता कि गुरुदेव यहाँ पधारते!! अकस्मात् पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य वड़ोदरा कायावरोहण गायत्री शक्तिपीठ मंदिर में प्रकट हो गए। शिष्यों के हर्ष का ठिकाना न रहा। शिष्यों ने अपने गुरुदेव को प्रणाम कर उनका स्नेहाशीर्वाद प्राप्त किया। पलक झपकते ही पंडित जी पुनः अंतर्धान हो गए।
मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्तियाँ:
भक्तों वड़ोदरा कायावरोहण गायत्री शक्तिपीठ मंदिर के गर्भगृह के अन्दर वेदमाता गायत्री, आदिशक्ति अष्टभुजी अम्बिका तथा कुण्डलिनी माता की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं।
कुण्डलिनी माता का चमत्कार:
भक्तों वड़ोदरा कायावरोहण गायत्री शक्तिपीठ मंदिर में कुण्डलिनी माता के स्थापना काल में एक चमत्कार देखने को मिला था। बताया जाता है कि कुण्डलिनी माता का विग्रह जयपुर से मंगाया गया तो मूर्ति लकड़ी से बनी पेटी में बंद होकर आई।जब पेटी को खोला गया तो उसमें सर्प थे। लेकिन जैसे ही विग्रह की स्थापना का समय आया एक सर्प पेटी से कूदकर बाहर निकल गया तथा दूसरा पेटी में रखे कुण्डलिनी माता के विग्रह में ही समाहित हो गया। इसके बाद उन दोनों सर्पों का दर्शन कभी नहीं हुआ।
सिद्धि प्रदाती गायत्री:
भक्तों वड़ोदरा कायावरोहण गायत्री शक्तिपीठ मंदिर में जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा, निष्ठा और विश्वास के साथ माँ गायत्री को समर्पित करते हुए पूजा, अर्चना, यज्ञ, हवन और अनुष्ठान करता है।सिद्धि प्रदाती माता गायत्री उसके समस्त मनोरथों को पूर्ण कर देती हैं।
पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन परिचय:
भक्तों युग प्रवर्तक और गायत्री शक्तिपीठ के संस्थापक पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्म 20 सितम्बर,1911 को उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के आंवलखेड़ा गांव में हुआ था। उनका बाल्यकाल गांव में ही बीता। उनके पिता उद्भट विद्वान और श्रीमद भागवत के मर्मज्ञ पंडित श्री रूपकिशोर जी शर्मा और माता नंद्कुंवारी थी। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जीवन संगिनी श्रीमती भगवती देवी शर्मा थी। पंडित मदन मोहन मालवीय ने उनका यज्ञोपवीत संस्कार कर गायत्री मंत्र की दीक्षा दी। पंडित जी 15 साल की उम्र से 24 साल की उम्र तक प्रतिवर्ष 24 लाख गायत्री मंत्र का जप करते रहे। 1927 से 1933 तक स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने हेतु जेल जाना पड़ा। जेल में उन्हें पंडित मदन मोहन मालवीय जी का मार्ग दर्शन मिला। कालांतर वे श्री गणेशशंकर विद्यार्थी से प्रभावित होकर राजनीति में भी शामिल हुए। पंडित जी ने सैकड़ों पुस्तकों की रचना की। उन्होंने अपनी जीवन सहचरी श्रीमती भगवती देवी शर्मा के साथ मिलकर युग परिवर्तन का संकल्प लिया और अंतर्राष्ट्रीय गायत्री शक्तिपीठ की स्थापना की।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
श्रेय:
लेखक - रमन द्विवेदी
#devotional #mandir #gayatrishaktipeeth #mata #youtube #hinduism #gujarat #vlogs
Ещё видео!