Bhojpuri के शेक्सपियर Bhikhari Thakur के अमर नाटक Bidesiya का प्रसङ्ग है..
विदेसि चले गये हैं कलकता..इहाँ प्यारी सुंदरी घर में बैठ के रो रही है..विरह में कलपती प्यारी सुंदरी के दर्द में जितनी संवेदनात्मक गूंज है..उतनी ही संगीतात्मक और लयात्मक भी..
इस गीत को जीवन्त किया है संकल्प बलिया के कलाकारों ने..आशीष त्रिवेदी के निर्देशन में हुए इस नाटक की प्रस्तुति देश के कई मंचों पर हो चूकि है...
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