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तपस्या और ध्यान में क्या अंतर है ?
Description :- तपस्या प्रत्येक व्यक्ति के आंतरिक शक्ति को निखारने के लिए होती है। तपस्या व्यक्ति के मन, बुद्धि, अंतःकरण ,चित्त और आत्मा को प्रबल बनाती है। भगवान की भगवत्ता को भी प्रकट करने के लिए तपस्या की जरूरत होती है। इसलिए इंसान के लिए तपस्या अति आवश्यक है। जब हम किसी भी प्रकार का अनुष्ठान करते हैं तो इससे हमारी वाणी ,संयम और मन सम्हलती है साथ ही हमारे आत्मसंयम और नियंत्रण की भी परीक्षा होती है। इसलिए मन को एकाग्र करना सीखें। जिससे हमारी बुद्धि ,स्मृति और भाग्य जागता है। देव, द्विज का पूजन, गुरु का सम्मान और विद्वानों का सत्कार, शरीर, वातावरण और स्थान की शुद्धि, संयम में रहना और अहिंसा का पालन करना इसे भगवान शरीर का तप बताते हैं। बड़ों का आदर और सेवा भी शरीर का तप है। उस समय की सेवा और गुरु की सेवा जितनी अधिक होता है वह हमारे लिए आशीर्वाद के रूप में उतना ही फलता है।
तपस्या के तीन प्रकार I तप कैसे करें I तपस्या क्या होती है |
His Holiness Sudhanshu Ji Maharaj is a global spiritual leader and motivational guru from India. He is also the founding member of Vishwa Jagriti Mission also known as VJM. VJM is an initiative which works towards religious awakening and better overall health of all living creatures.
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