Shitla Mata Mandir Gwalior | शीतला माता मंदिर ग्वालियर | Navratri Darshan | ग्वालियर | मध्य प्रदेश | Shitla Maiya | Shitla dham | Gwalior famous mandir | Navratri kab se hai |
#shitla #shitladham #gwalior #navratri #maadurga #durgapuja
मंदिर के बारे में:
भक्तों, इस देश के हर कोने में महामाया, आदिशक्ति के अनेको स्थान हैं. जहाँ उन्होंने अलग अलग रूप में अपने भक्त को दर्शन दिए और उनका यह जीवन सफल किया. ऐसा ही एक मंदिर है मध्य प्रदेश के शहर ग्वालियर से लगभग 20 किमी. दूर सांतऊ गाँव के समीप जंगलों में स्थित सीता माता एवं लक्ष्मी माता को समर्पित शीतला माता मंदिर. जहां माता अपने भक्तों की निश्छल पूजा – आराधना से प्रसन्न होकर यहां आकर विराजमान हो गई. आस पास घाना जंगल होने की वजह से कहते हैं यह मंदिर किसी समय में डकैतों की आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. डकैत अपनी जान-माल की रक्षा के लिए शीश नवाते थे. और पुलिस को उनका आतंक खत्म करने के लिए उन्हीं देवी माँ से विशेष प्रार्थना करनी पड़ी थी. शीतला माता का यह मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना हैं। मंदिर के बाहर भोग ,प्रसाद, फूल एवं पूजा सामग्री की बहुत से दुकाने हैं जहाँ से श्रद्धालु माता को अर्पित करने के लिए अपनी श्रधानुसार सामग्री खरीद कर मंदिर में प्रवेश करते हैं. मान्यता है की शीतला माता के इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से मां की आराधना करता है उसकी मुराद माता अवश्य पूरी करती हैं।
मंदिर का गर्भग्रह:
श्रद्धालु मंदिर के विशाल प्रांगण में बनी लोहे की रेलिंग के बीच से पंक्तियों में मंदिर के गर्भग्रह तक पहुँचते हैं. गर्भग्रह में शीतला माता, सीता जी एवं लक्ष्मी जी के रूप में विराजमान है जिनको देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे माता अपने दरबार में आये सभी भक्तों पर अपनी दयादृष्टि बरसा रही हों. भक्त अपने साथ लाये प्रसाद व पूजा सामग्री माता को अर्पित कर उनका दर्शन पूजन करते हैं. एवं अपनी मनोकामनाओं की सिद्धि की माँ से प्रार्थना करते हैं.
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा:
भक्तों,,माता शीतला के इस मंदिर से जुड़ी के सुप्रसिद्ध कथा के अनुसार – बहुत समय पहले की बात है जब माता के पहले भक्त गजाधर जी वर्तमान मंदिर के पास ही बसे गांव सांतऊ में रहते थे. वो माता के परम थे और भिंड जिले के गोहद के पास खरौआ में एक प्राचीन देवी मंदिर में नियमित रूप से गाय के दूध से माता का अभिषेक किया करते थे. महंत गजाधर की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां कन्या रूप में प्रकट हुईं और महंत से उनको अपने साथ ले चलने को कहा. गजाधर जी ने माता से कहा की उनके पास कोई साधन न होने के कारण वो उन्हें अपने साथ ले जाने में असमर्थ हैं. तब माता ने गजाधर जी से कहा कि वो जब माता का ध्यान करेंगे माता प्रकट हो जाएंगी. गजाधर जी ने अपने गाँव सांतऊ पहुंचकर माता का आवाहन किया तो देवी माँ प्रकट हो गईं और गजाधर जी से मंदिर बनवाने के लिए कहा. गजाधर ने माता से कहा कि वह जहां विराज जाएंगी वहीं उनका मंदिर बना दिया जाएगा. माता सांतऊं गांव से बाहर निकल कर जंगलों में पहाड़ी पर विराजमान हो गईं. तब से महंत गजाधर के वंशज इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं.
मंदिर परिसर:
मंदिर में शीतला माता के अतिरिक्त अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर हैं जैसे सभी मंशाओं को पूर्ण करने वाले मंशापूर्ति हनुमान जी मंदिर, श्री कृष्ण भगवान् का मंदिर , भैरव बाबा का मंदिर, श्री राधाकृष्ण जी, श्री लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर, श्री राम दरबार , शारदा माता तथा देवी माँ के नौ रूप – माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंध्माता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी एवं माँ सिद्धिदात्री विराजमान हैं. इनके साथ ही अन्य देवी देवताओं की भी प्रतिमाएं विराजमान हैं. माता के पहले भक्त एवं इस मंदिर की नींव रखने वाले महंत गजाधर बाबा एवं उनके वंशज महंत भोले बाबा, महंत रामानंद बाबा, महंत हरगोविंद बाबा की भी प्रतिमाएं मंदिर परिसर में प्रतिष्ठित की गयीं हैं. माता शीतला का यह मंदिर परिसर बहुत ही विशाल है. श्रधालुओं को कुछ सीढियां चढ़ के मंदिर में प्रवेश करना होता है. मंदिर में लगे घंटे इस बात का संकेत देते हैं की जिनकी भी मनोकामनाएं माता शीतला ने पूर्ण की हैं वे मंदिर में घंटे बांधते हैं. परिसर में लगी हुई जालियों में भक्त मन्नत के धागे व चुनरियाँ बांधते हैं. परिसर में महिला व पुरुषों के अलग अलग पंक्तियों में जाने के लिए लोहे की रेलिंग लगी हुई हैं. मंदिर में एक यज्ञशाला भी है जहाँ समय समय पर हवन पूजन के आयोजन होते रहते हैं. अगर मंदिर की कलात्मक सुन्दरता की बात करें तो मंदिर की छत में बहुत ही सुंदर रंगों से आकर्षक कलाकृतियाँ बनाएं गयीं हैं. जो दिखने में बहुत ही मनमोहक प्रतीत होती हैं. श्रधालुओं की भीड़ में होने वाले माता के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गूँज उठता है.
सबकी आस्था का केंद्र:
घने जंगलों एवं पहाड़ों के बीच स्थित शीतला माता का यह मंदिर आम लोगों के साथ साथ किसी समय में डकैतों एवं पुलिस कर्मियों की भी आस्था का विशेष केंद्र रहा है. कहते हैं 80 से 90 के दशक में नवरात्रि के दौरान इस इलाके में सक्रिय डाकू गिरोह भेष बदलकर मंदिर में दर्शन करने आते और परंपरानुसार मनोकामना पूर्ण होने पर अपने गिरोह का नाम लिखे अष्ट धातु के घंटे माता को अर्पित करके जाते थे।
सभी भक्तजन मां के चैनल को subscribe जरूर करें 🙏
@ParikshitMehra1997@ShitlaMataGwalior
Ещё видео!