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सत्संग के अमृतवाणी में स्नान करें।
संकल्पबद्ध होकर स्वयं का भला करें।
Description :- सत्संग वह है जो हमारे जीवन को एक नया रूप देता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इस अमृतवाणी में अवश्य स्नान करना चाहिए। सत्संग को अपने कान, मन, हृदय, बुद्धि और आत्मा से सुनने वाले बनें । प्रत्येक व्यक्ति पहले जिज्ञासु बनें ,श्रोता बनें ,सिखने वाले बनें और जानने की इच्छा वाले बनकर जागृत अवस्था में आएं फिर स्वयं के अंदर एक नई जीवन की शुरुआत करें। तो यहीं से उनकी प्रगति शुरू होती है। सत्संग के बाद चिंतन अवश्य करें और एक सत्संग स्वयं से करें। जब हम किसी चीज का बार-बार ध्यान करते हैं तो हमारा उससे लगाव होने लगता है। और उसे पाने की इच्छा जागृत होने लगती है। जब यह इच्छा पूरी नहीं होती है । तो क्रोध उत्पन्न होने लगता है जिससे क्रोध हमारे अवचेतन मन पर हावी होने लगता है और इससे व्यक्ति के बुद्धि का विनाश हो जाता है। इसलिए भगवान कहते हैं कि यदि व्यक्ति को प्रगति करनी है तो चिंतन अवश्य करें।
His Holiness Sudhanshu Ji Maharaj is a global spiritual leader and motivational guru from India. He is also the founding member of Vishwa Jagriti Mission also known as VJM. VJM is an initiative which works towards religious awakening and better overall health of all living creatures.
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