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About Rog Nashak Mantra Meaning :
When u are pleased, you destroy all infirmities, and when u are displeased u frustrate all desires. No calamities or disease befalls those who take refuge in you and those who take refuge in you invariably become a refuge to others
दुर्गा सप्तशती रोगनाशक मंत्र :
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्रि के पर्व की शुरुआत होती है| देवी भागवत् पुराण के अनुसार सप्तशती का हर मंत्र सिद्ध है जिसके नियमित जप से साधक की बाधा दूर होती है। नवरात्र के दिनों में इसका जप विशेष लाभकारी माना गया है | सप्तशती में रोग, महामारी के शमन के लिए और विश्वकल्याण के लिए भी मंत्र का उल्लेख किया गया है
देवी दुर्गा को पाप नाशिनी कहा जाता है... ये ना सिर्फ मनुष्य के पाप बल्कि उनके रोगों का भी नाश करती है। दुर्गासप्तशती, जिसे मां दुर्गा की प्रार्थना के तौर पर पढ़ा जाता है, का यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली और रोगों का नाश करने वाला है। इस मंत्र का अर्थ यही है कि वे मनुष्य के रोग का नाश करती है.. जो उनकी शरण में जाता है वे उसे हर विपत्ती से बचाती है।
“रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति”
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